फर्रुखाबाद : SO थाना मऊ दरवाजा लोगों के साथ करते हैं जानवरों जैसा सलूक

थाना मऊ दरवाजा SO अजय नारायण अपने पद की गरिमा को कर रहे हैं तार तार पत्रकारों से भी करते हैं बदसलूकी शायद वर्दी का नशा सर चढ़कर बोल रहा है

रा.ज. फर्रुखाबाद :- मऊ दरवाजा थाना क्षेत्र के ग्राम चौरसिया मझोला निवासी अवधेश सिंह (पुत्र स्व. प्रेम चन्द्र शाक्य) ए.डी.ओ. समाज कल्याण के पद से सेवानिवृत होकर अपने गांव में ही रहने लगे। वे एक सज्जन व समाज सेवी किस्म के व्यक्ति हैं। आये दिन समाजसेवा से जुड़े कामों में हमेशा बढ़ चढ़ कर भाग लेते रहते हैं। रोज की भांति दिनाँक 16-06-2021 को भी दैनिक दिनचर्या से निब्रत होकर लगभग 12 बजे वे दोपहर का खाना खाने की तैयारी कर रहे थे।

तभी मऊ दरवाजा पुलिस के चार पुलिस कर्मी और एक महिला पुलिस कर्मी उनके यहाँ पहुंची और उनसे कहा कि थानेदार साहब ने आपको बुलाया है। इस पर उन्होंने बुलाए जाने का कारण पूछा तो पुलिस कर्मियों ने अनभिज्ञता जाहिर कर दी।अवधेश सिंह ने कहा कि ठीक है, खाना खाकर मैं कुछ देर में आ जाऊँगा। इस पर पुलिस कर्मियों ने कहा कि आपको अभी के अभी मेरे साथ चलना पड़ेगा। ऐसा कहकर पुलिस कर्मियों ने अवधेश सिंह को खाना भी नहीं खाने दिया और अपने साथ जबरदस्ती थाने ले गए।

कुछ देर बाद उनके पुत्र सत्येंद्रबीर घर आये तो पता लगा कि पुलिस कर्मी अवधेश सिंह को थाने ले गए, तो सत्येंद्रबीर भी उनके पीछे थाने पहुँचे। थाने पहुँचकर पता लगा कि अवधेश सिंह के बड़े पुत्र की सास शीला देवी ( मूलनिवासी ग्राम रसीदपुर पोस्ट जैथरा जिला एटा ) ने प्रार्थना पत्र देकर आरोप लगाया है कि अवधेश सिंह के पुत्र और मेरे दामाद सुनील और उनकी पत्नी ने मेरा सात लाख रुपया बैंक से निकलवा लिया और मुझे मारपीट कर घर से बाहर निकाल दिया।

SO द्वारा ये बात जानकर अवधेश सिंह ने उन्हें बताया कि सुनील गाजियाबाद में रहते हैं और ये महिला मेरी समधन हैं। मैं फोन करके एक दो दिन में अपने पुत्र और पुत्रवधु को बुला लेता हूँ, तब आप उनसे पूछताछ कर लेना। जांच में जो भी तथ्य सामने आएं, आप उसी हिसाब से कार्यवाही करना। इस बात पर एस.ओ. ने कहा कि दूसरी पार्टी ने मुझे दस हजार रूपये दिए हैं तुम मुझे बीस हजार रुपए दो तो मैं तुम्हारे फेवर में काम करूँगा। इस पर अवधेश सिंह ने साफ शव्दोँ में रिश्वत देने से मना कर दिया। ये बात चल ही रही थी तभी सत्येंद्र बीर भी थाने में पहुँच गए।

सत्येंद्रबीर ने भी इस तरह बिना किसी पूर्व सूचना के थाने में इस तरह जबरदस्ती बुलाए जाने सम्बन्धी कुछ सवाल कर दिए। बस इसी बात पर एस.ओ.अजय नारायण बेहद आग बबूला हो गए और अमर्यादित शब्दों का प्रयोगकर गाली गलौच करने लगे। जिस पर सत्येंद्रबीर ने अपना परिचय दिया और बताया कि मैं “राष्ट्रीय जजमेन्ट हिन्दी दैनिक” समाचार पत्र का संवाददाता हूँ और अवधेश सिंह मेरे पिताजी हैं। आप एक पत्रकार और एक “सीनियर सिटीजन” से गाली गलौच नहीं कर सकते।

सत्येंद्रबीर का इतना कहना था कि एस.ओ. क्रोधित होकर बोले कि तेरे जैसे पत्रकार मेरे आगे पीछे घूमते रहते हैं, पकड़ लो इन दोनो को और मारो सालों को। बस फिर क्या था, चार पाँच पुलिस कर्मी सतेंद्र बीर पर टूट पड़े और लात घूंसों से बुरी तरह मारने पीटने लगे और स्वयं एस.ओ. व एक अन्य दीवान अवधेश सिंह को बुरी तरह मारने पीटने लगे। थानाध्यक्ष ने उनकी उम्र का भी खयाल नहीं किया। मारपीट कर हवालात में बंद कर दिया। यही नहीं बहुत छोटी सी हवालात में 07लोगों को बंद कर कोरोना गाइड लाइन का खुला उल्लंघन किया गया।

थानाध्यक्ष मऊ दरवाजा अजय नारायन ने पत्रकार सत्येंद्रबीर का धारा 151 में और उनके पिताजी अवधेश सिंह का 107/16 में चालान कर दिया। दोंनो लोगों के ज़मानत पर छूटने पर अबधेश सिंह ने बताया कि थानाध्यक्ष ने मुझे कानूनी मामलों में बुरी तरह फंसाने की धमकी देकर हम दोनों का चालान कर दिया। पुलिस कर्मियों ने सत्येंद्रबीर को इतनी बेरहमी से मारा पीता कि उनकी कमर व रीढ़ की हड्डी में काफी गंभीर चोटें आई हैं।

एक तरफ उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री तो दूसरी तरफ भारत के प्रधानमंत्री इस बात का एलान कर चुके हैं कि किसी पत्रकार के साथ अभद्रता करने बालों पर तुरन्त एफ.आई.आर. दर्ज कर 48 घंटे के अन्दर गिरफ़्तारी का आदेश जारी किया जा चुका है साथ ही ₹- 50000 जुर्माने का प्रावधान किया गया है। इस सबके बाबजूद दूसरी तरफ पत्रकारों के साथ आये दिन कोई न कोई घटना घटित होती रहती हैं। वहीं जब पत्रकारों के साथ जब पुलिस प्रशासन ही गुंडई करेगा तो कार्यवाही कौन करेगा ?

फर्रुखाबाद से विक्रान्त सिन्हा की रिपोर्ट

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