गुलाबी नगरी जयपुर की तरह लखनऊ के प्रमुख शहर भी नजर आएंगे एक रंग मैं

सन 1876 में  जयपुर के भवनों को गुलाबी रंग में क्या रंगा गया, आवभगत के उस तौर-तरीके ने परंपरा और व्यवस्था का रूप लेकर जयपुर को दुनिया में गुलाबी नगरी के रूप में प्रसिद्ध कर दिया। एकरूपता का ऐसा ही रंग अब उत्तर प्रदेश के शहरों में भी नजर आएगा। मुख्य मार्गों पर स्थित आवासीय और व्यावसायिक भवनों के बाहरी हिस्से को विकास प्राधिकरण द्वारा तय रंग में ही रंगना होगा। प्रस्ताव को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ हरी झंडी दे चुके हैं। आवास एवं शहरी नियोजन विभाग जल्द ही आदेश जारी करने वाला है।

दरअसल, उत्तर प्रदेश नगर योजना एवं विकास अधिनियम के तहत शहर के मुख्य मार्गों से सटे भवनों के बाहरी हिस्से के अनुरक्षण व मरम्मत के लिए राज्य सरकार ने पहली बार माडल उपविधि तैयार की है। आवास विभाग द्वारा तैयार उपविधि को विभागीय मंत्री होने के नाते मुख्यमंत्री ने मंजूरी दे दी है। प्रमुख सचिव आवास एवं शहरी नियोजन दीपक कुमार ने बताया कि जल्द ही संबंधित आदेश जारी कर दिया जाएगा।

विकास प्राधिकरणों को बोर्ड के माध्यम से अपने-अपने शहर में उपविधि को लागू करना होगा।उपविधि के लागू होने पर भवन स्वामियों को शहर के मुख्य मार्गों के गैर आवासीय या आंशिक रूप सेआवासीय/गैर आवासीय भवनों में एकरूपता के लिए उनके बाहरी हिस्से  की तय रंग से ही रंगाई करानी होगी। इसके लिए भवन स्वामियों को छह माह की मोहलत मिलेगी। रंगाई का खर्च खुद भवन स्वामियों को उठाना होगा। संबंधित शहर के विकास प्राधिकरण को मुख्य मार्गों का चयन करने के साथ ही रंग तय कर भवन स्वामियों को प्रचार माध्यमों से बताना होगा। आवासीय कालोनियों या ऐसे मार्ग, जिन पर सिर्फ आवासीय भवन हैं, उनका चयन नहीं करना होगा।नेम प्लेट व साइन बोर्ड भी होंगे एक जैसे

न केवल बाहरी दीवार का रंग, बल्कि नेम प्लेट व साइन बोर्ड आदि को भी एक जैसा सुनिश्चित किया जाएगा। नेम प्लेट, साइन बोर्ड का आकार, रंग और लिखावट भी प्राधिकरण तय करेगा। सभी के लिए बोर्ड की चौड़ाई तो तय होगी, लेकिन लंबाई भवन या दुकान के आकार के अनुसार कम ज्यादा हो सकेगी।

किसी भवन स्वामी ने यदि निर्धारित अवधि में तय रंग से भवन की रंगाई नहीं कराई तो विकास प्राधिकरण उसे कराएगा। उस पर आने वाला खर्च भवन स्वामियों को प्राधिकरण में जमा करना होगा। प्राधिकरण बिना लाभ-हानि के लागत तय करेगा। भवन स्वामियों द्वारा लागत का पूरा भुगतान न करने की दशा में प्राधिकरण को भू-राजस्व की तरह बकाए की वसूली करने का अधिकार होगा।

केसरिया हो सकता है अयोध्या का मुख्य मार्ग

किसी भी शहर के मुख्य मार्ग की इमारतें किस रंग की होंगी, इसे स्थानीय स्तर पर उस शहर की खासियत को देखते हुए प्राधिकरण को तय करना है। एक नहीं, दो रंग भी तय किए जा सकते हैं। मसलन, भगवान राम की नगरी होने से अयोध्या के मुख्य मार्गों का रंग केसरिया या उससे मिलता-जुलता तय किया जा सकता है। इसी तरह ताजनगरी आगरा के मुख्य मार्ग की इमारतों का रंग ताजमहल की तरह सफेद तय हो सकता है। राजधानी लखनऊ के मुख्य मार्गों का रंग गुलाबी या पीला रखा जा सकता है। भवन के अलावा साइन बोर्ड आदि के अलग रंग तय किए जा सकते हैं।

Comments are closed.

This website uses cookies to improve your experience. We'll assume you're ok with this, but you can opt-out if you wish. Accept Read More