सुप्रीम कोर्ट ने सीबीएसई और आईएससी बोर्ड द्वारा लाई गई मूल्यांकन योजना को आगे बढ़ने के लिए दिखाई हरी झंडी

आर जे न्यूज़

सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को सीबीएसई और आईसीएसई के परीक्षा रद्द करने के फैसले के खिलाफ दायर याचिकाओं को खारिज कर दिया। शीर्ष अदालत ने दोनों केंद्रीय बोर्डों के मूल्यांकन फॉर्मूले को उचित करार देते हुए उन्हें आगे बढ़ने के लिए हरी झंडी दे दी।

जस्टिस एएम खानविलकर और दिनेश माहेश्वरी की विशेष पीठ ने कहा कि सीबीएसई और आईसीएसई की मूल्यांकन स्कीम में दखल देने की कोई वजह नजर नहीं आती है। पीठ ने सीबीएसई कंपार्टमेंट परीक्षा को रद्द करने की मांग वाली याचिका भी खारिज कर दी।

सीबीएसई की टैबुलेशन स्कीम को चुनौती देने वाली याचिका को खारिज करते हुए कोर्ट ने कहा कि सीबीएसई की मार्किंग स्कीम विद्यार्थियों के हित में है।

याचिकाकर्ता की ओर से विकास सिंह ने कहा था कि अगर परीक्षा कराना संभव नहीं है तो पहले ही छात्रों को ये विकल्प दिया जाना चाहिए था कि वो लिखित परीक्षा देना चाहते हैं या बोर्ड की टैबुलेशन पॉलिसी को चुनना चाहते हैं। इस पर सुनवाई के दौरान कोर्ट ने अटॉर्नी जनरल (एजी) से पूछा था कि क्या छात्रों को शुरू में ही मौका नहीं दिया जा सकता था कि वो लिखित परीक्षा या आंतरिक मूल्यांकन में से कोई एक विकल्प चुन लें ?

इस पर एजी के के वेणुगोपाल ने कहा कि स्कीम के तहत छात्रों को दोनों विकल्प मिल रहे हैं। अगर वो स्कीम में मिले नंबरों से संतुष्ट नहीं होंगे, तो लिखित परीक्षा का विकल्प चुन सकते हैं। लेकिन अगर वो सिर्फ लिखित परीक्षा चुनते हैं, तो फिर आखिरी में लिखित परीक्षा के नंबर ही फाइनल माने जाएंगे, इंटरनल असेसमेंट के नहीं।

जस्टिस महेश्वरी ने कहा कि शुरुआत में छात्रों को ये अंदाजा ही नहीं होगा कि उन्हें इंटरनल असेसमेंट में कितने मार्क्स मिलेंगे। ऐसे में लिखित परीक्षा / इंटरनल असेसमेंट में से एक को चुनना उनके लिए भी मुश्किल होगा।

इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने सीबीएसई और आईसीएसई को सोमवार को निर्देश दिया था कि वे 12वीं कक्षा के छात्रों के मूल्यांकन के लिए तैयार किए गए फॉर्मूले पर कुछ छात्रों और अभिभावकों द्वारा उठाई गई चिंताओं को लेकर जवाब दें।

गौरतलब है कि 12वीं कक्षा की परीक्षाएं कोविड-19 वैश्विक महामारी के कारण रद्द कर दी गई हैं। अभिभावकों के एक संघ और छात्रों ने 12वीं कक्षा के परिणामों के लिए मूल्यांकन संबंधी सीबीएसई और आईसीएसई की योजनाओं पर चिंता व्यक्त करते हुए कहा है कि इसके कई उपनियम मनमाने हैं। वे छात्रों के भविष्य पर प्रतिकूल प्रभाव डालेंगे।

जस्टिस एएम खानविलकर और दिनेश माहेश्वरी की विशेष पीठ ने कहा था कि वह हस्तक्षेप करने वालों की चिंताओं पर सीबीएसई और आईसीएसई के वकीलों के जवाब पर मंगलवार को सुनवाई करेगी। पीठ ने रजिस्ट्री को इस मामले में उन सभी लंबित याचिकाओं को 22 जून को सूचीबद्ध करने का भी निर्देश दिया था जिनमें याचिकाकर्ताओं ने 12वीं कक्षा की परीक्षा रद्द करने के सीबीएसई के फैसले को चुनौती दी गई थी और दोनों बोर्ड की मूल्यांकन योजनाओं पर चिंता जताई गई थी।

यूपी अभिभावक संघ, लखनऊ की ओर से पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता ने शुरुआत में कहा था कि सीबीएसई की योजना में छात्रों को दिया गया बाह्य परीक्षा का विकल्प उन छात्रों के लिए अहम होगा, जो आंतरिक मूल्यांकन में अच्छा प्रदर्शन नहीं कर सके। छात्र और स्कूल दोनों को बाहरी परीक्षा या आंतरिक मूल्यांकन का विकल्प चुनने का अवसर प्रारंभिक चरण में ही दिया जाना चाहिए। यदि कोई स्कूल या छात्र इस आंतरिक मूल्यांकन का विकल्प नहीं चुनना चाहता, तो जुलाई के मध्य में बाह्य परीक्षा के लिए एक तारीख तय की जा सकती है या परीक्षा आयोजित करने के लिए अनुकूल कोई भी तारीख तय की जा सकती है।

पीठ ने कहा कि छात्रों के लिए आशा की कोई किरण होनी चाहिए और कोई भ्रम नहीं होना चाहिए। पीठ ने कहा, परीक्षा रद्द करने का फैसला उच्चतम स्तर पर लिया गया है और हमने इसे सैद्धांतिक रूप से स्वीकार कर लिया है।

Comments are closed.

This website uses cookies to improve your experience. We'll assume you're ok with this, but you can opt-out if you wish. Accept Read More