यूपी: पेट्रोल – डीजल चले सेंचुरी की ओर, बेरोजगारी के साथ-साथ महंगाई भी बनी जनता का सिर दर्द

महंगे खाद्य तेल ने बिगाड़ा रसोई का बजट

कोरोना की पहली लहर में 90 से 100 रुपये प्रतिलीटर मिलने वाला सोयाबीन का तेल इस बार 150 रुपये लीटर तक मिल रहा है। उदाहरण के तौर पर पहले पांच सदस्यीय परिवार में हर माह सात से आठ लीटर तेल लगता था, जो 700 से 800 रुपये तक आ जाता था। अब इतना ही तेल हर महीने 1000 से 1200 रुपये का आ रहा है। यानी 300 से 400 रुपये सिर्फ तेल का बजट बढ़ गया है। इसी तरह लॉकडाउन में 210 रुपये प्रतिकिलो फुटकर में बिके सरसों के तेल के दाम 170 से 180 रुपये लीटर तक पहुंच गए हैं। इससे कम नहीं हो रहे हैं। इससे आम लोगों की जेब पर महंगाई की मार पड़ रही है। शहर के थोक तेल व्यवसायियों का कहना है कि खाद्य तेल के दाम कम होना व बढ़ना अंतरराष्ट्रीय बाजार पर निर्भर करता है। व्यवसायी अपने मन से दाम नहीं बढ़ाते हैं।

पट्रोल – डीजल चले सेंचुरी की ओर 

देश में पेट्रोल और डीजल के रेट लगातार बढ़ते जा रहे हैं। लखनऊ में मंगलवार को पेट्रोल 96 रुपए प्रति लीटर तो डीजल 89.64 रुपए प्रति लीटर के बिका। पिछले 37 दिन में पेट्रोल के दाम एक-एक दो-दो पैसा कर करीब 6 रुपए प्रति लीटर तक महंगा हो गया है। वहीं, डीजल की बात करे तो वह भी करीब 4 रुपए प्रति लीटर महंगा हुआ है। इसकी वजह से माल भाड़ा और महंगाई बढ़ने लगी है। कारोबारियों का कहना है कि किराया बढ़ना शुरू हो गया है। इसमें सबसे ज्यादा असर लोकल सामान ढोने वालों पर पड़ा है। लखनऊ में जो भाड़ा पहले 600 रुपए था उसके लिए अब 700 से 750 रुपए तक खर्च करने पड़ रहे हैं।

ट्रैवेल वालों ने भी बढ़ाया रेट

टूर एंड ट्रैवल का काम करने वाले राजीव शुक्ला बताते हैं कि डीजल और पेट्रोल महंगा होने से प्रति किलोमीटर पर दो रुपये तक का रेट बढ़ गया है। उन्होंने बताया आने वाले दिनों में यह रेट और बढ़ेगा। हालांकि अभी मार्केट भी बहुत गिरा हुआ है। ट्रैवेल वालों के पास काम बहुत कम है लेकिन वह घाटे में काम नहीं कर सकते हैं। बताया कि छोटी गाड़ियां जो पहले 10 प्रति किलोमीटर जाती थी, अब उसके लिए 12 रुपए का भुगतान किया जाता है। उसके अलावा सिंपल इनोवा 12 की जगह 14 और इनोवा क्रिस्टा 14 की जगह 16 रुपए में बुक हो रही है। ऐसे ही ट्रैवलर गाड़ियां जो 18 रुपए में बुक होती थी अब वह 22 से 24 रुपए में जाती है।

तीन माह में 20% बढ़ा माल भाड़ा

उप्र द ट्रक एंड ट्रांसपोर्ट असोसिएशन के अध्यक्ष अरुण अवस्थी ने बताया कि ट्रांसपोर्टरों ने अपना रेट बढ़ा दिया है। 3 महीने में करीब 15 से 20% रेट की बढ़ोतरी हुई है। उन्होंने बताया कि एक ट्रक औसतन दो किलोमीटर प्रतिलीटर का एवरेज देता है। ऐसे में सौ लीटर में दो सौ किलोमीटर की यात्रा होती है। अब एक रुपए की बढ़ोतरी से सौ किलोमीटर का सफर में अपने आप सौ रुपए तक महंगा हो जाता है। अब डीजल चार रुपए महंगा हुआ है। ऐसे में पहले की तुलना हर सौ किलोमीटर पर सफर 400 रुपए तक महंगा हो गया है। ट्रक मालिक इसकी भरपाई व्यापारियों से करते हैं और वह आम आदमी पर रेट बढ़ाकर इस लागत की वसूली करते हैं। ऐसे में सभी जगह महंगाई आना तय है।

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