रोहतास वन प्रमंडल के कैमूर वाइल्डलाइफ सैंक्चुरी में कैमूर पहाड़ी की गोद में बसे मनमोहक झरना मांझर व धुआं कुंड इन दिनों पर्यटकों को लुभा रहा है. यह प्राकृतिक झरना और मनमोहक दृश्य दूर से ही लोगों को अपनी ओर आकर्षित कर रहा है. प्रकृति में पाई जाने वाली सुंदरता की सिर्फ एक झलक पाने के लिए यहाँ लोगों की संख्या बढ़ती जा रही है. यहां आकर लोग प्रकृति के संगीत को करीब से सुन पाते हैं.
पहाड़ से गिरते पानी को निहारना रोमांचक एहसास देता है. यही कारण है कि सोशल मीडिया पर भी जहां झरना काफी सुर्खिया बटोर रहा है. इसे देखने के लिए इन दिनों बिहार ही नहीं अन्य राज्यों से भी हजारों की संख्या में सैलानी पहुंच रहे हैं. कैमूर पहाड़ी पर तीन किमी की परिधि में अवस्थित मांझर व धुआं कुंड राज्य के रमणीक स्थानों में महत्व रखता है.
पहाड़ी पर काव नदी का पानी एक धारा बना कर टेढ़े-मेढे रास्तों से गुजरते हुए मांझर कुंड जलप्रपात में इकट्ठा होता है. ऊपर से बहने वाला पानी जाकर ऊँचे पर्वत से झरना के रूप में जमीन पर गिरता है, जो धुआं कुंड है. ये प्राकृतिक छटा आंखों को सुकून पहुंचाती है.
मांझर कुंड से कुछ दूरी पर 36.5 मीटर की उंचाई से 6 मील की गहरी घाटी में गिरने वाले पानी से उठते धुंध को लेकर उस स्थान को धुंआ कुंड का नाम मिल गया है. धुआं कुंड पर चारो तरफ पहाड़ियों के बीच से सूर्य की किरणे गिरते जलप्रपात पर पड़ती है तो गिरते जलप्रपात में सतरंगी छटा बिखेरती रहती है. जो देखने में इंद्रधनुष ही नजर आती है.
केवल हरियाली और प्राकृतिक सौंदर्य का खजाना ही सामने नजर आता है. वर्तमान के इस भाग-दौड़ एवं तनाव भरी जिंदगी में अगर कुछ पल सुकून के बिताने की सोंच रहे हैं तो फिर तैयार हो| अपने परिवार व सहपाठियों के साथ. पिकनिक के दौरान यहां प्लास्टिक व थर्मोकोल ले जाना बैन है.
राजधानी पटना से करीब 158 किलोमीटर, वाराणसी से करीब 136 किलोमीटर और सासाराम शहर से 10 किलोमीटर दूर मांझर व धुआं कुंड जलप्रपात तक जाने के लिए ताराचंडी मंदिर के पास से पहाड़ी सड़क बनी हुई हैं. यहां वन विभाग का चेक पोस्ट भी है. बाइक व चारपहिया वाहन यहां सुबह जाकर शाम तक लौट सकते हैं.
किसी भी जलप्रपातों पर घूमने जाने से पहले इन बातों का जरुर ध्यान रखें:- सेल्फी लेने के लिए जलप्रपात के खतरनाक जगहों पर न जाएं. बारिश के कारण फिसलन का डर रहता है. ऐसे जगहों पर खाली पैर ही ट्रेकिंग करें. तेज उफान वाले जगहों के ज्यादा करीब जाने का प्रयास न करें. इन जगहों पर खतरों की अंदेशा बनी रहती है.
Comments are closed.