ओलंपिक में भारतीय महिला हाकी टीम का टूटा सपना

इस ओलंपिक में शानदार प्रदर्शन से भारतीय टीम बिग लीग टीमों में अपना नाम शुमार कराने में सफल हो गई है. वह नई रैंकिंग में छठे स्थान पर आ सकती है.ब्रिटेन के तीसरे कवार्टर में बराबरी पाने के बाद भारत को आख़िरी 15 मिनट में जीत के लिए सबकुछ झोंक देने की ज़रूरत थी. मगर शायद टीम सामने वाली टीम के शुरुआत से ही दवाब बनाने की वजह से इस रणनीति पर काम नहीं कर सकी.

टीम इस क्वार्टर में काफ़ी समय बचाव में ही व्यस्त रही. वहीं, ब्रिटेन के ग्रेस बाल्सडन द्वारा चौथा गोल जमाने के बाद भारतीय खिलाड़ियों पर दवाब दिखने लगा. वो गेंद को ढंग से क्लियर नहीं कर पा रही थीं और हमले बनाते समय गेंद पर नियंत्रण बनाने में भी उन्हें दिक्क़त हुई.पहले 24 मिनट के खेल में ब्रिटेन की 2-0 की बढ़त और ग्रेट ब्रिटेन के लगातार हमलावर रहने से लग रहा था कि मैच का हश्र ग्रुप मुकाबले वाला ही होने वाला है. लेकिन दूसरे क्वार्टर के आख़िरी छह मिनट में भारतीय टीम एक अलग ही अंदाज़ वाली दिखी.

भारत ने इस दौरान हमले बनाकर अपने ऊपर से दवाब ही नहीं हटाया बल्कि पहले ड्रैग फ़्लिकर गुरजीत कौर के पेनल्टी कार्नर पर जमाए दो गोलों से बराबरी की और फिर वंदना कटारिया के शानदार गोल से मैच में पहली बार बढ़त बनाकर अपनी श्रेष्ठता साबित कीपहले 24 मिनट के खेल में ग्रेट ब्रिटेन की सही मायनों में सही परीक्षा नहीं हुई, लेकिन भारत ने जब दूसरे क्वार्टर के आखिरी छह-सात मिनट जब ताबड़तोड़ हमले बनाए तो डिफ़ेंस में कमज़ोरी साफ़ दिखाई दी.

ब्रिटेन के डिफ़ेंडर गेंद क्लियर करने में ग़लतियां करते नज़र आ रहे थे. वहीं, भारतीय हमलावरों ने पहले सीधा गोल जमाने के बजाय पेनल्टी कॉर्नर हासिल करने की रणनीति पर काम किया और उनकी यह रणनीति कारगर साबित हुई.

इस रणनीति की वजह से मिले पेनल्टी कॉर्नरों को भारत गोल में बदलकर पहले 2-2 की बररबरी की. बराबरी से बने टेंपो को भारत ने खत्म नहीं होने दिया और वंदना कटारिया के बनाए हमले में कम से कम तीन खिलाड़ियों तक गेंद पहुंचने के बाद वंदना को गेंद मिली और वह गोल जमाने में सफल रहीं. इस गोल ने भारतीय टीम के हौसले को दोहरा कर दिया.ब्रिटेन तीसरे क्वार्टर में बराबरी पाने के इरादे से हमलावर रुख़ अपनाने के इरादे से उतरी. वैसे उनके और सफलता के बीच सविता पूनिया डटी हुई थीं. लेकिन फिर भी ग्रेट ब्रिटेन को हमलावर रुख़ अपनाने का फ़ायदा मिला.

इसकी वजह से बने हमलों में भारतीय गोल पर ख़तरा भी बना. पर भला हो गोलकीपर सविता पूनिया के शानदार बचाव का, कम से कम छह निश्चित गोल के मौके रोके.तीसरे क्वार्टर के आख़िरी मिनट में भारत ने दाहिने फ़्लैंक से हमला बनाकर गोल पर गेंद डाली.

इस दौरान ब्रिटेन की खिलाड़ी के ख़िलाफ़ फ़ाउल होने पर भारत ने पेनल्टी कार्नर के लिए रेफ़रल मांगा और उन्हें पेनल्टी कॉर्नर मिला भी, लेकिन इस समय टीम की विशेषज्ञ ड्रैग फ़्लिकर गुरजीत कौर मैदान पर नहीं थी, इसलिए दीप ग्रेस एक्का ने सीधा शॉट लेने के बजाय वेरिएशन किया. पर आगे पहुंची खिलाड़ी गेंद को डिफ़्लेक्ट नहीं कर सकी और बढ़त लेने का मौका चला गया.

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