राहुल गांधी को दरकिनार कर प्रियंका वाड्रा के सहारे यूपी काँग्रेस में जान डालने की कोशिश

सुल्तानपुर। उत्तर प्रदेश भारतीय राजनीति का केंद्र रहा है, जिसका कारण है लोकसभा और विधानसभा की सबसे ज्यादा सीटें है। उत्तर प्रदेश ही यह तय करता है कि लोकसभा में जीत किसकी होगी, फिलहाल अभी यूपी में लोकसभा की 83 सीटें और विधानसभा की 403 सीटें है। भले ही काँग्रेस राष्ट्रीय पार्टी है लेकिन पिछले 40 सालों से काँग्रेस यूपी विधानसभा चुनाव नहीं जीत सकी। लगातार यूपी में काँग्रेस का ग्राफ नीचे की तरफ जा रहा है। 2012 के विधानसभा चुनावों में काँग्रेस को 28 सीटों पर जीत मिली थी।

जबकि 2017 में राहुल गांधी के नेतृत्व में काँग्रेस को मुँह की खानी पड़ी थी और काँग्रेस को सिर्फ 7 ही सीटों पर जीत मिली थी। पिछले विधानसभा चुनाव की गलतियों को ध्यान मे रखकर इस बार यूपी काँग्रेस की कमान प्रियंका वाड्रा को दी गई है, जिससे यह साफ़ जाहिर होता है कि खुद काँग्रेस को राहुल गांधी के नेतृत्व पर भरोसा नहीं रह गया है, जिसका मुख्य कारण यह है कि राहुल गांधी के नेतृत्व मे जितने भी चुनाव काँग्रेस ने लड़े उसमें से ज्यादातर में काँग्रेस को करारी हार मिली, इसीलिए यूपी में अपने अस्तित्व की लड़ाई काँग्रेस प्रियंका वाड्रा के सहारे लड़ेगी।

देखना यह है कि क्या काँग्रेस यूपी विधानसभा चुनाव अकेले लड़ेगी या और पार्टियों के साथ गठबंधन करेगी,हालांकि AIMIM के यूपी में आ जाने से समाजवादी पार्टी, बहुजन समाज पार्टी के अलावा काँग्रेस को भी अपने परंपरागत वोटों की चिंता जरूर सताएगी, वही दूसरी ओर भारतीय जनता पार्टी को इसका लाभ मिल सकता है,

और अभी हाल में ही कॉंग्रेस के बड़े नेता जितिन प्रसाद काँग्रेस को छोड़कर बीजेपी में आए है जिससे बीजेपी को फायदा मिलने की उम्मीद है, योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में बीजेपी यूपी विधानसभा का चुनाव लड़ेगी। ऐसे मे यह देखना दिलचस्प होगा कि क्या प्रियंका वाड्रा यूपी मे काँग्रेस का अस्तित्व बचाए रखने में कामयाब होती है या नहीं।

सुल्तानपुर से संवाददाता
संतोष दूबे का लेख।

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