मुंबई की धारावी से कम नहीं है लटेरी की शहरी बस्ती…?

लटेरी:-आजादी के 73 साल बाद भी नशे में लुप्त युवा पीढ़ी के हालात जस के तस बने हुए है। एक ऐसा नशा जो धुंआ को पेट के अंदर कुछ सेकेण्ड के रखने के बाद साँस के माध्यम से छोड़ दिया जाता है उसे ब्राउन शुगर(मौत का पाउडर) कहते है। यह ब्राउन शुगर में लुप्त युवा पीढ़ी के कारण कईयों घरो के समान गिरवे,तो कइयो के घर बर्बाद हो गए है तो कइयो की ज़िंदगी समाप्त..!यकीनन यह मौत का पाउडर है।ऐसा लिखना कदापि सही भी ओर गरीब लोग इसमें लुप्त भी। हमारे राष्ट्रीय जजमेंट के पाठकों को बता दें कि फिर से तीसरी बार शहर में लटेरी अपने पैर पसारने को आ गया है। वहीं देखने को मिलता है कि कोई 15 तो18 तो कई 26 साल के लड़के इस शहर में कहीं गाँजा तो कई शराब के नशे में लुप्त हो गए है,तो कई 26 साल से लेकर 48 साल के नोजबान ब्राउन शुगर(टिकिट)जैसे नशे की गिरफ्त में कई वर्षो से है पीते ओर बेचते है..।

हमें लगता है जहाँ तक कि ऐसा कोई शहर या गाँव नही बचा है,जहाँ हमारे भारत देश के कई जन युवा पीढ़ी सिगरेट में भरकर गाँजा तो कहीं बैठकर शराब तो कहीं बंद कमरो या झाड़ियो में इस मौत के पाऊडर के नशे की गिरफ्त में ना हो..।वर्ष2020-21 लॉकडाउन के बाद वर्तमान के हालात यह हो गये है कि नशे के तस्कर एक स्थान से लेकर दूसरे स्थानों तक या शहर में मोबाइलो के माध्यम से जहाँ देखो वहाँ पुलिस से वेखोफ घूमते नजर आते है। सूत्रों का कहना है कि जबकि ऐसा नही है कि जो लोग नशा करते है उन्होके परिवार वालो को ओर पुलिसकर्मियों को इस गांजा,ड्रग्स आदी नशे के बैचने वाले लोगो का पता ना हो..!

अगर बेचना ही बंद हो जाये तो नशेड़ी भी सही रहा पर आना शिरू और घर परिवार वालो में मानो एक खुशी की लहर दौड़ पड़ेगी। सूत्रों की माने तो उन्होका कहना है कि अगर पुलिस चाहे तो इस भारत देश के हर संभाग,जिला,शहर,ओर ग्रामीण अंचलों से लेकर आने वाले नशे के कारोबारियों पर अंकुश लगा सकती..!हमारे विश्वसनीय सूत्रों का यह भी कहना हैं कि शहर लटेरी में जहाँ आज भी कच्ची शराब,गाँजा, ब्राउनशुगर(टिकिट)की सप्लाई कोलुआ,चैनपुरा रोड़,मधुसूदनगढ़ रोड,श्मशान रोड आदि कई ग्रामो से होती है..! ओर जब इसकी पड़ताल राष्ट्रीय जजमेंट की टीम ने की तो ब्राउन शुगर की वर्तमान कीमत लटेरी में 400 रुपये है।जिसमे मात्र 10-15 फूंक ही लगती है।खबर लिखे जाने तक ओर कई नशेड़ियों को टिकिट बाखूबी बैचा जाता है।अब जनता का सवाल पुलिस प्रशासन पर उठता है कि इतना सब कुछ होने पर ब्राउनशुगर के सेठ को धड़पकड़ करने में अटकले कियूं आ रही हैं! यह समझ से परे है..? लेकिन यह भी कहने में कोई नही चूकता कि पब्लिक है सब जानती है।

जब सिस्टम के डिपार्टमेंट में गूंगे ओर बहरे हो तो..? कुछ नही हो सकता..!इधर शहर में कई नशे करने वाले लोग हरिजन मोहल्ला,मढेय्या मोहल्ला,कुशवाहा मोहल्ला बरबटपुरा आदि मोहल्ले के लोग तो कई धन्धेगीर..तो कई कबाड़ीयो को इस नशे की जब(टूटन)यानी तलब होने लगती है तभी अपना-अपना नशा करने को तालाब के आसपास या कई और जगाहों पर चले जाते है।जहाँ इन नशे में लुप्त युवाओं को बाखूबी देखा जा सकता है। खबर लिखे जाने तक राष्ट्रीय जजमेंट के हमारे पाठको को बता दें कि इसके पूर्व में भी लटेरी शहर के राहगीर आज भी वह मंजर नही भूले जब एक के बाद एक करके तहसील लटेरी ओर ग्रामो में ग्यारह से तैराह लोगो की मौत इसी ब्राउनशुगर में कट मिले होने से हुई थी..।ओर बर्ष 2017 में इसकी कीमत 100 ओर 200 रुपये हुआ करती थी! इसके बाद कुछ दिनों के लिए तो इस मौत के पाउडर पर अंकुश लग तो गया था। लेकिन फिर यह नशा लोगो को अपना शिकार बनाने को निकल पड़ा है!अब सवाल यह उठता है कि शहर के कई राहगीरो को पता है लेकिन पुलिस को नही..?यह कैसे हो सकता है..?

इनका कहना है

मैंने अभी जिले का पदभार संभाला है,अगर ऐसा मामले है तो इस पर तो अंकुश लगेगा ही और बैचने वालो पर सख्त कार्यवाही करेंगे।

मोनिका शुक्ला पुलिस अधिक्षक विदिशा(म.प्र.)

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