यह कैसी आधुनिकता है, जिसमें भारतीय रेलवे में नौकरियां समाप्त की जा रही है

भारतीय रेलवे को निजी हाथों में सौंपने के लिए उसको जबरिया ध्वस्त किए जाने की बकाया चल रही है अधुनिकता की पटरी पर दौड़ रही भारतीय रेलवे में गैरजरूरी पद समाप्त किए जा रहे हैं। आउटसोर्सिंग और नई तकनीक अपनाने के चलते रेलवे में पिछले पांच वर्षों में 12,000 से अधिक पद समाप्त  किए जा चुके हैं। यानी रेलवे भविष्य में उक्त पदों पर भर्ती नहीं करेगी। इसमें अधिकारी व कर्मचारी दोनों वर्ग के पद शामिल हैं। यह अलग बात है कि हर साल रेल यात्रियों की संख्या बढ़ने के कारण यात्री ट्रेनों और रेल ट्रैक नेटवर्क बढ़ता जा रहा है।

आंकड़ों के मुताबिक, 2015-16 से 2020-21 के बीच सभी 16 जोनल रेलवे में 12,022 गैरजरूरी पदों को समाप्त कर दिया गया है। हालांकि, बोर्ड ने 13,050 पदों को समाप्त करने का लक्ष्य दिया था। लेकिन कुछ जोनल रेलवे ने जरूरी पदों का हवाला देते हुए कुछ पदों को समाप्त नहीं किया है। फिर भी जोनल रेलवे ने रेलवे बोर्ड के लक्ष्य का 92.1 फीसदी परिणाम हासिल कर लिया है। यह सिलसिला अभी थमा नहीं है, 2021-22 में पदों को समाप्त करने की प्रक्रिया चल रही है।

रेलवे संबंधी संसद की स्थायी समितियां समय-समय पर संरक्षा वर्ग में खाली पदों को लेकर अपनी नाराजगी जता चुकी हैं। संसदीय समितियों का कहना है कि ट्रेन ड्राइवर, सहायक ड्राइवर, गार्ड, गैंगमैन, आदि संरक्षा वर्ग के पद खाली रखना यात्रियों की सुरक्षा से समझौता करना है। कर्मचारियों को 22 से 24 घंटे काम करना पड़ रहा है। जबकि ट्रेन परिचालन अत्यधिक उच्च स्तर की सतर्कता का काम है। बड़ी संख्या में रेल फ्रैक्चर व टूटी हुई पटरियों को ठीक रखने में गैंगमैन की भूमिका अहम होती है एक समय था जब लालू यादव ने रेल मंत्री रहते भारतीय रेलवे को घाटे से उबर कर फायदे की पटरी पर दौड़ा दिया था

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