देश मे छा रहा बिजली संकट, आइये पढ़ें बिजली संकट होने के ये चार प्रमुख कारण 

चीन के बाद अब भारत में भी बिजली संकट गहराता जा रहा है। दिल्ली में ब्लैकआउट की चेतावनी जारी कर दी गई है तो उत्तर प्रदेश में आठ संयंत्र अस्थाई तौर पर ठप हो गए हैं।

पंजाब और आंध्र प्रदेश ने पॉवर प्लांट में कोयले की कमी जाहिर की है। ऐसे में केंद्र के सामने राज्यों की मांग को पूरा करना एक चुनौती बन गया है। केंद्र सरकार ने कहा है की ऊर्जा मंत्रालय के नेतृत्व में सप्ताह में दो बार कोयले के स्टॉक की समीक्षा की जा रही है।

उधर, दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने कहा है कि अगर केंद्र जल्द से जल्द जरूरी कदम नहीं उठाता है तो राजधानी को बिजली संकट का सामना करना पड़ सकता है।

केजरीवाल ने केंद्र को लिखा है कि कोयले से चलने वाले 135 संयंत्रों में से आधे से अधिक के पास केवल तीन दिन का कोयला बचा है। ये संयंत्र देश को आधे से ज्यादा बिजली आपूर्ति करते हैं।

बिजली संकट के ये चार कारण 

बाहर से आने वाले कोयले की कीमतों में काफी इजाफा हुआ, इससे संयंत्रों में बिजली उत्पादन में कमी आई। मांग को पूरा करने के लिए घरेलू कोयले पर निर्भरता बढ़ती गई।

मानसून की शुरुआत में पर्याप्त मात्रा में कोयले का स्टॉक नहीं हो पाया। इसके अलावा महाराष्ट्र, राजस्थान, तमिलनाडु, मध्यप्रदेश, उत्तर प्रदेश जैसे राज्यों में कोयला कंपनियों पर भारी बकाया के कारण संकट बढ़ गया।

सितंबर महीने में कोयले की खदान वाले क्षेत्रों में भारी बारिश के कारण भी कोयले के उत्पादन पर असर पड़ा।

कोरोना से जूझ रही – अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने के लिए बिजली की मांग बढ़ गई।

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