असत्य पर सत्य की हुई विजय, धूं धूं कर जला रावण का पुतला

जैदपुर / बाराबंकी । दशहरा या विजयदशमी हिंदुओं के प्रमुख त्योहारों में से एक है। हिंदू पंचांग के अनुसार, आश्विन मास के शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि को दशहरा मनाया जाता है। इसे विजयादशमी के नाम से भी जानते हैं। इस साल यह त्योहार 15 अक्टूबर, शुक्रवार को मनाया जा रहा है । कहा जाता है कि रावण दहन के साथ व्यक्ति बुराइयों का अंत करके अच्छाइयों की ओर बढ़ने की कोशिश करता है।

ज्योतिषाचार्यों के अनुसार, रावण दहन हमेशा सूर्यास्त के बाद ही किया जाना चाहिए।
रामायण के अनुसार, लंकापति रावण के अंत होने के साथ ही इस दिन का विशेष महत्व है। कहते हैं कि दशहरे के दिन व्यक्ति अपनी बुराइयों को खत्म करता है यह भी कहावत है कि रावण दहन से रोग, दोष, शोक, संकट और ग्रहों की विपरीत स्थिति से मुक्ति मिलती है। दशहरा के दिन रावण दहन इसलिए ही जरूरी माना जाता है।

क़स्बा जैदपुर में शुक्रवार को कोविड प्रोटोकाल नियमो का पालन करते हुए दशहरा का पर्व खूब धूम धड़ाके के साथ मनाया गया कस्बे के मोहल्ला गढ़ी कदीम स्थित शिव मंदिर प्रांगण से राम सीता , रावण , हनुमान एवं वानर सेना का काफिला कस्बे के मुख्य मार्गो से होता हुआ दशाहराबाग स्थित रामलीला ग्राउंड पंहुचा जहां पर राम लक्ष्मण व हनुमान तथा उनकी वानर सेना के साथ कुम्भकर्ण , मेघनाथ का घोर संग्राम हुआ ।

संग्राम में अपने भाइयो के पराजय होने की सूचना मिलते ही क्रोध से बौखलाया रावण अपनी राक्षसी सेना के साथ स्वयं राम लक्ष्मण से युद्ध करने युद्ध स्थल आया और घोर युद्घ छिड़ गया अंत में श्री राम जी के हाथों लंका का राजा रावण युद्ध में मारा गया । इस तरह से असत्य पर सत्य की हुई विजय और फिर देखते ही देखते राम लीला ग्राउंड पर पटाखों की गड़गड़ाहट के साथ धूं धूं कर जलने लगा रावण का पुतला तथा राम जी के जयकारो से गूंज उठा पूरा रामलीला परिसर ।

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