IAS अशोक खेमका का एक बार फिर ट्रांसफर कहा,शासन अब सेवा नहीं, कारोबार बन गया है

हरियाणा के चर्चित सीनियर आईएएस अधिकारी अशोक खेमका का एक बार फिर ट्रांसफर हो गया है। सिविल सेवा में 30 साल के लंबे करियर में यह उनका 54वां ट्रांसफर है। 1991 बैच के आईएएस अधिकारी खेमका को करीब दो साल बाद फिर से कैबिनेट मंत्री अनिल विज के साथ लगाया गया है। इससे पहले मार्च 2019 में खेमका का ट्रांसफर हुआ थाहरियाणा सरकार ने शुक्रवार को वरिष्ठ आईएएस अधिकारी अशोक खेमका का ट्रांसफर ऑर्डर जारी किया। प्रधान सचिव के अपने वर्तमान कार्यभार से, उन्हें हरियाणा विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग के प्रमुख सचिव के रूप में स्थानांतरित कर दिया गया है। वह मत्स्य विभाग की देखरेख भी करेंगे।

विज्ञान एवं तकनीकी विभाग के प्रधान सचिव अमित झा को इस पद से हटाते हुए खेमका को यह जिम्मेदारी दी गई है। 27 नवंबर 2019 को अभिलेख, पुरातत्व एवं संग्रहालय विभाग की जिम्मेदारी सौंपे जाने से पहले खेमका विज्ञान एवं तकनीकी महकमा ही संभाल रहे थे। वहीं, स्थानीय शहरी निकाय और कौशल विकास एवं औद्योगिक प्रशिक्षण विभाग संभाल रहे अरुण कुमार गुप्ता को अभिलेख, पुरातत्व एवं संग्रहालय के प्रधान सचिव का अतिरिक्त कार्यभार दिया गया है।
53वें तबादले के बाद सीएम खट्टर को लिख दिया था पत्र

बता दें कि खेमका ने अपने 53वें तबादले से परेशान होकर हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाख खट्टर को पत्र लिख दिया था। उन्होंने अपने पत्र में कहा था कि दब्बू अधिकारी तो फलते-फूलते हैं, जबकि ईमानदार को मामूली भूमिकाएं दी जाती हैं। उन्होंने सीएम खट्टर से उन्हें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात करने की अनुमति देने को भी कहा था।

खेमका ने लिखा था कि दब्बू और भ्रष्ट अधिकारी सक्रिय सेवा के दौरान खूब फलते-फूलते हैं और रिटायरमेंट के बाद भी उन्हें पुरस्कार दे दिया जाता है, जबकि ईमानदार को छोटे और मामूली काम सौंपे जाते हैं जो निचली रैंक के लिए उपयुक्त होते हैं। उन्होंने कहा था कि भ्रष्ट को तब तक कठघरे में खड़ा नहीं किया जाता है जब तक वे शासकों के हितों पर प्रहार न करें। शासन अब सेवा नहीं, बल्कि कारोबार बन गया है।

केवल मुझ जैसे बेवकूफ ही जनता के विश्वास के बारे में सोचेंगे और भरोसेमंद के रूप में काम करेंगे। उम्मीद के विपरीत उम्मीद करता हूं कि आप इस पत्र को कूड़ेदान में नहीं फेंकेंगे। इसके साथ ही अपने पत्र में खेमका ने खट्टर को याद दिलाया था कि भाजपा ने 2014 के चुनाव के दौरान पिछली कांग्रेस सरकार के कार्यकाल के दौरान के भूमि सौदों में कथित अनियमितताओं को एक बड़ा मुद्दा बनाया था, लेकिन उसे अब वह भूल गई है।

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