भारत में ड्रग्स व्यापार को बढ़ाते फिल्म स्टार, संरक्षण देती सरकारे

इन जिहादियों के ख़िलाफ़ चुप्पी खतरनाक होगी।बॉलीवुड, मीडिया और राजनीति के कुछ अड्डों से NCB के मुखिया समीर वानखेड़े के विरुद्ध जिहाद शुरू किया गया है। अचानक ऐसा क्यों हुआ है.?दअर सल शाहरुख खान के नशेड़ी कपूत की गिरफ्तारी के साथ ही कराची में बैठा आतंकी दाऊद और रावलपिंडी में बैठे ISI के सरगना बुरी तरह तिलमिलाए हुए हैं। वो समझ गए हैं कि NCB की कार्रवाई बॉलीवुड में उनके उन गुर्गों के गिरेबान तक पहुंच रही है, जिन गुर्गों के द्वारा वो बॉलीवुड को अपनी उंगलियों पर पिछले 3-4 दशकों से नचाते रहे हैं।

NCB अब बॉलीवुड में उनके माफिया राज को बुरी तरह ध्वस्त करती जा रही है। यही कारण है कि उन्होंने भारतीय मीडिया, बॉलीवुड और राजनीति में जमे हुए अपने गुर्गों को NCB और उसके मुखिया के खिलाफ पूरी ताकत से सक्रिय कर दिया है। जरा याद करिए निकट अतीत के इन घटनाक्रमों को।

पिछले वर्ष जस्टिस फॉर सुशांत सिंह राजपूत के जो बिलबोर्ड अमेरिका के हॉलीवुड में लगे थे उनको कुछ ही घंटों में उतरवा दिया गया था। उन बिलबोर्ड को हटवाने में अज़ीज-उल-हसन अशाई उर्फ टोनी अशाई का नाम सामने आया था जो भारतीय मूल का कश्मीरी है और पाकिस्तान समर्थित आतंकवादी समूह जम्मू कश्मीर लिबरेशन फ्रंट का सदस्य रह चुका है।

अमेरीका में वो पाकिस्तान की उस खुफिया एजेंसी ISI का एजेंट है जो पिछले 30 सालों से हिन्दूस्तान में आतंकी जिहाद चलवा रही है। भारतीय और अमेरिकी जांच एजेंसियों के दस्तावेजों में उसकी यह पहचान दर्ज है। सर्वाधिक महत्वपूर्ण तथ्य यह है कि शाहरूख खान और उसकी बीबी गौरी खान का बिजनेस पार्टनर भी यही टोनी अशाई है।

आप समझ सकते हैं कि शाहरुख खान जब जब अमेरिका गया तब तब उसके कपड़े उतरवा कर उसकी तलाश क्यों ली गयी.? उसने इस पर हल्ला भी खूब मचाया। लेकिन अमेरिकी प्रशासन पर कोई असर नहीं पड़ा। किसी ने, खासकर सेक्युलरों और लुटियन मीडिया ने उससे कभी यह नहीं पूछा कि लता मंगेशकर अमिताभ बच्चन, धर्मेन्द्र सरीखे दिग्गजों से लेकर अक्षयकुमार और सनी देओल, सोनू निगम तक, दर्जनों भारतीय फिल्मस्टार एक नहीं अनेक बार अमेरिका गए हैं, लेकिन उनके कपड़े उतरवा कर उनकी तलाशी कभी क्यों नहीं ली गयी.? ISI का यही एजेंट जो शाहरुख का जिगरी दोस्त और बिजनेस पार्टनर भी है, NCB की कार्रवाई से तिलमिलाया हुआ है।

NCB को रोकने के लिए ISI सक्रिय हो गयी है। यही कारण है कि मीडिया, बॉलीवुड और राजनीति का एक विशेष वर्ग NCB के खिलाफ जहर उगलने में जुट गया है। इससे पहले अफ़ज़ल गुरु, याकूब मेमन, बटला हाऊस के आतंकियों को बचाने के लिए भी दाऊद और ISI ने भारतीय मीडिया, बॉलीवुड और राजनीति में बैठे अपने गुर्गों का इस्तेमाल भारतीय सेना और भारतीय अदालतों पर दबाव बनाने के लिए किस तरह किया था.? उस शर्मनाक खतरनाक सच को पूरा देश देख चुका है। उस सच से भलीभांति परिचित है।जनवरी में NCB ने ब्रिटिश नागरिकता वाले भारतीय मूल के करन संजनानी के मुंबई स्थित अड्डे पर छापा मार कर बहुत हाई क्वालिटी का 2 क्विंटल विदेशी गांजा बरामद किया था। यह गांजा अमेरिका से तस्करी कर के लाया गया था।

करन संजनानी के उस नशे के अड्डे से मिले ठोस सबूतों के बाद शुरू हुई NCB की जांच में नवाब मलिक का दामाद समीर खान भी ठोस सबूतों के साथ NCB के हत्थे चढ़ गया था। NCB ने 11 जनवरी को उसे गिरफ्तार कर के जेल भेज दिया था। उसके खिलाफ NCB के सबूत इतने पुख्ता थे कि साढ़े 8 महीने तक कोर्ट ने उसे जमानत नहीं दी थी। 27 सितंबर को कोर्ट ने उसे जमानत इस शर्त के साथ दी है कि वो अपना पासपोर्ट कोर्ट में जमा कराए तथा कोर्ट की अनुमति के बिना मुंबई के बाहर नहीं जा सकता।

साढ़े 8 महीने जेल में बंद रहने के बाद इन शर्तों के साथ कोर्ट द्वारा नवाब मलिक के दामाद समीर खान को दी गयी जमानत बताती है कि वो कितना मासूम और निर्दोष है.? समीर वानखेड़े द्वारा उसके खिलाफ की गई कार्रवाई कितनी सही या गलत है.? यही कारण है कि जब नवाब मलिक का दामाद गिरफ्तार हुआ था तब नवाब मलिक साढ़े 8 महीने तक चुप्पी तो साधे रहा था लेकिन समीर वानखेड़े के खिलाफ बुरी तरह तिलमिलाया हुआ था। लेकिन अब वो अपनी खीझ उतार रहा है। अपनी इस करतूत से वो NCB और समीर वानखेड़े के खिलाफ ISI और दाऊद इब्राहीम की मुहिम को भरपूर ताक़त भी दे रहा है।

यह निर्णायक क्षण है। NCB और समीर वानखेड़े के खिलाफ नवाब मलिक और ISI तथा दाऊद इब्राहीम के जिहाद के खिलाफ चुप्पी तोड़िए। सोशलमीडिया पर उपरोक्त सच्चाई अधिकतम लोगों को जमकर बताइए। क्योंकि इन जिहादियों के ख़िलाफ़ हमारी आपकी चुप्पी बहुत खतरनाक होगी ज़ो ना तो समाज के हित में है और ना ही देश की चुप्पी वही लोग सादे बैठे हैं देश में ड्रग्स और नशे के व्यापार को बढ़ाकर मोटा मुनाफा कमा रहे हैं और युवा पीढ़ी को नशे की कैसे दलदल में ले जा रहे हैं इसमें कई राजनेता और फिल्म स्टार और बड़े व्यापारी शामिल लेकिन देखना तो याद ही है सरकार क्या करती है क्या उसने भी बड़े ड्रग्स माफिया और दलालों के साथ समझौता कर लिया है फिर तो देश के आम नागरिक को ही जागना होगा

सुल्तानपुर से मुकेश दुबे (मानव ) का वैचारिक लेख

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