नीरजपाराशर आचारय:
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**|| जय श्री राधे ||****
?? महर्षि पाराशर पंचांग ??
??? अथ पंचांगम् ???
**ll जय श्री राधे ll****
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दिनाँक-: 26/10/2021,मंगलवार
पंचमी, कृष्ण पक्ष
कार्तिक
“”””””””””””””””””””””””””””(समाप्ति काल)
तिथि———– पंचमी 08:23:26 तक
पक्ष————————– कृष्ण
नक्षत्र————-आर्द्रा 31:07:07
योग————- शिव 25:29:48
करण———— तैतुल 08:23:26
करण—————- गर 21:39:11
वार———————– मंगलवार
माह————————-कार्तिक
चन्द्र राशि——————- मिथुन
सूर्य राशि——————— तुला
रितु————————— शरद
सायन————————हेमंत
आयन—————— दक्षिणायण
संवत्सर————————प्लव
संवत्सर (उत्तर)———आनंद
विक्रम संवत—————- 2078
विक्रम संवत (कर्तक)—- 2077
शाका संवत—————– 1943
वृन्दावन
सूर्योदय————— 06:26:59
सूर्यास्त————— 17:38:52
दिन काल————— 11:11:52
रात्री काल————–12:48:45
चंद्रास्त—————— 11:18:45
चंद्रोदय—————–21:40:34
लग्न—- तुला 8°40′ , 188°40′
सूर्य नक्षत्र——————- स्वाति
चन्द्र नक्षत्र——————–आर्द्रा
नक्षत्र पाया——————–रजत
??? पद, चरण ???
कु—- आर्द्रा 10:55:36
घ—- आर्द्रा 17:40:38
ङ—- आर्द्रा 24:24:33
??? ग्रह गोचर ???
ग्रह =राशी , अंश ,नक्षत्र, पद
==========================
सूर्य= तुला 08742 ‘ स्वाति , 1 रू
चन्द्र =मिथुन 07°23 ‘ आर्द्रा , 1 कु
बुध = कन्या 20°57 ‘ हस्त ‘ 4 ठ
शुक्र= वृश्चिक 25°55, ज्येष्ठा ‘ 3 यी
मंगल=तुला 02°30 ‘ चित्रा ‘ 3 रा
गुरु=मकर 28°30 ‘ धनिष्ठा , 2 गी
शनि=मकर 12°43 ‘ श्रवण ‘ 1 खी
राहू=(व)वृषभ 09°00’ कृतिका , 4 ए
केतु=(व)वृश्चिक 09°00 अनुराधा , 2 नी
???शुभा$शुभ मुहूर्त???
राहू काल 14:51 – 16:15 अशुभ
यम घंटा 09:15 – 10:39 अशुभ
गुली काल 12:03 – 13:27 अशुभ
अभिजित 11:41 -12:25 शुभ
दूर मुहूर्त 08:41 – 09:26 अशुभ
दूर मुहूर्त 22:46 – 23:31 अशुभ
?चोघडिया, दिन
रोग 06:27 – 07:51 अशुभ
उद्वेग 07:51 – 09:15 अशुभ
चर 09:15 – 10:39 शुभ
लाभ 10:39 – 12:03 शुभ
अमृत 12:03 – 13:27 शुभ
काल 13:27 – 14:51 अशुभ
शुभ 14:51 – 16:15 शुभ
रोग 16:15 – 17:39 अशुभ
?चोघडिया, रात
काल 17:39 – 19:15 अशुभ
लाभ 19:15 – 20:51 शुभ
उद्वेग 20:51 – 22:27 अशुभ
शुभ 22:27 – 24:03* शुभ
अमृत 24:03* – 25:39* शुभ
चर 25:39* – 27:15* शुभ
रोग 27:15* – 28:52* अशुभ
काल 28:52* – 30:28* अशुभ
?होरा, दिन
मंगल 06:27 – 07:23
सूर्य 07:23 – 08:19
शुक्र 08:19 – 09:15
बुध 09:15 – 10:11
चन्द्र 10:11 – 11:07
शनि 11:07 – 12:03
बृहस्पति 12:03 – 12:59
मंगल 12:59 – 13:55
सूर्य 13:55 – 14:51
शुक्र 14:51 – 15:47
बुध 15:47 – 16:43
चन्द्र 16:43 – 17:39
?होरा, रात
शनि 17:39 – 18:43
बृहस्पति 18:43 – 19:47
मंगल 19:47 – 20:51
सूर्य 20:51 – 21:55
शुक्र 21:55 – 22:59
बुध 22:59 – 24:03
चन्द्र 24:03* – 25:07
शनि 25:07* – 26:11
बृहस्पति 26:11* – 27:15
मंगल 27:15* – 28:20
सूर्य 28:20* – 29:24
शुक्र 29:24* – 30:28
नोट– दिन और रात्रि के चौघड़िया का आरंभ क्रमशः सूर्योदय और सूर्यास्त से होता है।
प्रत्येक चौघड़िए की अवधि डेढ़ घंटा होती है।
चर में चक्र चलाइये , उद्वेगे थलगार ।
शुभ में स्त्री श्रृंगार करे,लाभ में करो व्यापार ॥
रोग में रोगी स्नान करे ,काल करो भण्डार ।
अमृत में काम सभी करो , सहाय करो कर्तार ॥
अर्थात- चर में वाहन,मशीन आदि कार्य करें ।
उद्वेग में भूमि सम्बंधित एवं स्थायी कार्य करें ।
शुभ में स्त्री श्रृंगार ,सगाई व चूड़ा पहनना आदि कार्य करें ।
लाभ में व्यापार करें ।
रोग में जब रोगी रोग मुक्त हो जाय तो स्नान करें ।
काल में धन संग्रह करने पर धन वृद्धि होती है ।
अमृत में सभी शुभ कार्य करें ।
?दिशा शूल ज्ञान————-उत्तर
परिहार-: आवश्यकतानुसार यदि यात्रा करनी हो तो घी अथवा गुड़ खाके यात्रा कर सकते है l
इस मंत्र का उच्चारण करें-:
शीघ्र गौतम गच्छत्वं ग्रामेषु नगरेषु च l
भोजनं वसनं यानं मार्गं मे परिकल्पय: ll
? अग्नि वास ज्ञान -:
यात्रा विवाह व्रत गोचरेषु,
चोलोपनिताद्यखिलव्रतेषु ।
दुर्गाविधानेषु सुत प्रसूतौ,
नैवाग्नि चक्रं परिचिन्तनियं ।। महारुद्र व्रतेSमायां ग्रसतेन्द्वर्कास्त राहुणाम्
नित्यनैमित्यके कार्ये अग्निचक्रं न दर्शायेत् ।।
15 + 5 + 3 + 1 = 24 ÷ 4 = 0 शेष
मृत्यु लोक पर अग्नि वास हवन के लिए शुभ कारक है l
? शिव वास एवं फल -:
20 + 20 + 5 = 45 ÷ 7 = 3 शेष
वृषभारूढ़ = शुभ कारक
?भद्रा वास एवं फल -:
स्वर्गे भद्रा धनं धान्यं ,पाताले च धनागम:।
मृत्युलोके यदा भद्रा सर्वकार्य विनाशिनी।।
?? विशेष जानकारी ??
* पंचमी तिथि वृध्दि
??? शुभ विचार ???
प्रस्तवासदृशं वाक्यं प्रभावसदृशं प्रियम् ।
आत्मशक्तिसमं कोपं यो जानाति स पण्डितः ।।
।।चा o नी o।।
वही पंडित है जो वही बात बोलता है जो प्रसंग के अनुरूप हो. जो अपनी शक्ति के अनुरूप दुसरो की प्रेम से सेवा करता है. जिसे अपने क्रोध की मर्यादा का पता है.
??? सुभाषितानि ???
गीता -: राजविद्याराजगुह्ययोग अo-09
मां हि पार्थ व्यपाश्रित्य येऽपि स्यु पापयोनयः ।,
स्त्रियो वैश्यास्तथा शूद्रास्तेऽपि यान्ति परां गतिम् ॥,
हे अर्जुन! स्त्री, वैश्य, शूद्र तथा पापयोनि चाण्डालादि जो कोई भी हों, वे भी मेरे शरण होकर परमगति को ही प्राप्त होते हैं॥,32॥,
?? दैनिक राशिफल ??
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