देश में इस साल 112 बाघों की हुई मौत, इनमें 34 प्रतिशत मध्‍य प्रदेश से

बाघों की गणना के बीच मध्य प्रदेश के सामने बड़ी चुनौती, अब तक 38 की मौत

ब्यूरो पन्ना । देश में पांचवीं बाघ गणना शुरू हो गई है। इस बीच मध्य प्रदेश की चुनौतियां लगातार बढ़ती जा रही हैं। कर्नाटक के साथ होने वाली प्रतिस्पर्धा में मध्य प्रदेश में बाघों की मौत के मामलों ने यह चुनौती और भी बढ़ा दी है। देश में एक जनवरी से 19 नवंबर 2021 तक 112 बाघों की मौत हो चुकी है। इसमें से अकेले मध्य प्रदेश में 34 प्रतिशत (38) बाघों की हुई है।

यह पिछले पांच सालों में बाघों की मौत का सबसे बड़ा आंकड़ा है। यह स्थिति तब है, जब कर्नाटक की तुलना में मध्य प्रदेश में वर्ष 2018 की गणना में सिर्फ दो बाघ ज्यादा निकले हैं। कर्नाटक में 524 और मध्य प्रदेश में 526 बाघ गिने गए थे। वहीं, बाघों की मौत के मामले में देश में दूसरे नंबर पर महाराष्ट्र है। वहां इस अवधि में 21 तो कर्नाटक में 15 बाघों की मौत हुई है।

टाइगर स्टेट का तमगा बचाने और बाघ गणना 2022 में प्रतिद्वंदी राज्यों को कड़ी टक्कर देने का दावा कर रहे मध्य प्रदेश की धरातल पर स्थिति खराब है। यहां बाघों की मौत रुक नहीं रही है। यहां नवंबर माह के 19 दिनों में चार बाघों की मौत हो चुकी है। अगस्त माह में पांच बाघों की मौत हुई है।

मई माह तो बाघों के लिए सबसे बुरा समय साबित हुआ है। इस माह सबसे ज्यादा सात बाघों की मौत दर्ज हुई है। इससे टाइगर स्टेट का तमगा बरकरार रखने की संभावनाओं पर धुंध छा गई है। इसके बाद भी वन विभाग से एक ही जबाव मिलता है कि मौत का आंकड़ा सामान्य है। ज्यादा बाघ हैं। इसलिए ज्यादा मौत भी हो रही है।

वन अधिकारियों के तर्कों को सही मानें, तो एक सवाल उठता है कि कर्नाटक में इतनी कम मौत क्यों? जब वहां सिर्फ दो बाघ कम हैं, तो मौत के आंकड़ों में इतना अंतर क्यों आ रहा है और यह इसी साल की बात नहीं है। पिछले कई सालों से यही स्थिति है।

देश में यह पांचवीं बाघ गणना

वर्ष 2005 तक देश में हर राज्य अपने स्तर पर बाघों की गिनती करता था। वर्ष 2006 से राष्ट्रीय स्तर पर गिनती शुरू हुई, जो हर चार साल में की जाती है। अब तक चार गणना हो चुकी हैं। वर्तमान में पांचवीं गणना शुरू हुई है।

राष्ट्रीय जजमैंन्ट ब्यूरो पन्ना जितेन्द्र दुबे की रिपोर्ट मो न 8828428564

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