बैंक ने मृत व्यक्ति को बनाया कर्जदार, कलेक्टर से लगाई न्याय की गुहार

कटनी। सरकारी तंत्र का अजीब कारनामा बरही किसान को मौत के सात साल बाद कर्जदार बनाकर उसके दस साल बाद एक लाख अस्सी हजार 389 रुपए जमा करने का नोटिस जारी किया गया। यह कारनामा कटनी जिले के सहकारी बैंक की शाखा खितौली में हुआ। इधर पिता की मौत के 18 साल बाद कर्ज की राशि जमा करने का नोटिस देखकर पुत्र अरुणेश मिश्रा परेशान हैं।

कलेक्टर को पत्र देकर बताया कि उनके पिता लक्ष्मण प्रसाद मिश्रा की मौत 10 जनवरी 2003 को हो गई थी। इस बीच चार माह पहले सहकारी बैंक खिलौती बरही से नोटिस जारी कर एक लाख 80 हजार 389 रुपए जमा करने कहा जा रहा है। पुत्र अरुणेश ने बताया कि कर्ज को लेकर बैंक की शाखा में पता करने पर वहां अधिकारी-कर्मचारी कुछ भी नहीं बता रहे हैं।

इस संबंध में सहकारी बैंक शाखा खितौली बरही के प्रबंधक शिवकुमार द्विवेदी बताते हैं कि सूची में कर्ज राशि दर्ज थी, इसलिए नोटिस जारी किया गया है। कर्ज कैसे दर्ज है इसकी जांच करवाएंगे।

जंगली जानवरों एवं हाथियों से फसल बचाने के बरही क्षेत्र के किसानों के नित नए उपाय

कटनी./ कहीं जंगली सूअर कहीं बंदर तो कभी हाथी एवं आवारा मवेशी भी किसानों की फसलों को नुकसान पहुंचाते हैं जिससे कि सारे नए तरीके अपनाते हैं बरही/ तहसील के मचमचा, निपनिया, बिचपुरा, करौंदीकला, बगदरा, करेला व कुआं सहित बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व की सीमा से लगे दूसरे गांव के ग्रामीणों का जीवन जंगली हाथियों से होने वाले नुकसान के बीच ही बीत रहा है। लोग बताते हैं कि बीते वर्ष जंगली हाथियों के कारण फसल व घरों को बहुत नुकसान हुआ।

गांव में  वनमंत्री विजय शाह भी पहुंचे थे उन्होंने हाथियों से नुकसान का जायजा लिया। हालांकि इस साल नुकसान तो ज्यादा नहीं हुआ, लेकिन ग्रामीणों को खरीफ सीजन की प्रमुख फसल धान का उत्पादन करने के दौरान हाथियों का डर बना रहा। किसानों ने खेत पर मचान बनाकर फसल की सुरक्षा की। हाथियों की भगाने के लिए पटाखे तैयार रखते हैं।

जानकार बताते हैं कि पश्चिम बंगाल, छत्तीसगढ़ और उड़ीसा में विचरण करने वाले जंगली हाथियों को अब मध्यप्रदेश के जंगल रास आ रहे हैं। जाहिर है हाथियों को यहां के वन पसंद है तो वनांचल में रहने वाले इंसानों को भी हाथियों के साथ अब जीवन जीना सीखना होगा।

कटनी जिले के बरही तहसील अंतर्गत सात गांव में बीते वर्ष हाथियों से हुए नुकसान में 55 प्रकरण तैयार किया गया। बरही तहसीलदार सच्चिदानंद त्रिपाठी बताते हैं कि इन प्रकरणों के माध्यम से प्रभावित ग्रामीणों को 8 लाख रुपए से ज्यादा राशि बतौर मुआवजा वितरित की गई।

बरही रेंजर गौरव सक्सेना के अनुसार जंगली हाथियों के मूवमेंट से ग्रामीणों को होने वाले नुकसान कम करने के लिए अलग से वनकर्मियों की टीम की तैनाती की गई है। हाथी गांव की ओर रुख करते हैं तो पहले ही उन्हे जंगल की ओर भेजने की कोशिश की जाती है।

वन्यप्राणियों से होने वाले नुकसान पर मुआवजा का प्रकरण पश्चिम बंगाल, छत्तीसगढ़ व दूसरे राज्यों में वन विभाग के माध्यम तैयार होता है। मध्यप्रदेश में यह काम राजस्व विभाग के हाथों है। जानकार बताते हैं कि यह काम वन विभाग के माध्यम होगा तो प्रभावितों को मुआवजा भी जल्दी मिलेगा और वन्यप्राणियों से होने वाले नुकसान पर ग्रामीण सीधे आपत्ति भी दर्ज करवा सकेंगे।

मध्यप्रदेश के चीफ वाइल्ड लाइफ वार्डन आलोक कुमार बताते हैं कि प्रदेश के वनक्षेत्रों में जंगली हाथियों के मूवमेंट पर हम नजर बनाए हुए हैं। हाथी जिस स्थान पर ज्यादा समय बिता रहे हैं वहां आसपास के ग्रामीणों को जागरूक किया जा रहा है। जिससे ग्रामीणों के साथ ही हाथियों को भी नुकसान नहीं पहुंचे।

राष्ट्रीय जजमेंट संवाददाता कटनी से श्यामलाल सूर्यवंशी की रिपोर्ट

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