मैं प्रधानमंत्री की घोषणा की प्रशंसा करता हूं, पर भरोसा नहीं करता-राकेश टिकेट

राकेश टिकेट ने कहा मुझे खुशी है कि प्रधानमंत्री मोदी  ने ऐसे तीन काले कृषि कानूनों की वापसी की घोषणा की जो किसी भी तरह किसानों के हक में नहीं थे। यह भारतीय किसानों की जीत है। हम कृषि देश हैं। ग्रामीण भारत की 80 प्रतिशत से ज्यादा आबादी के लिए इससे जुड़ी गतिविधियां जीवन-यापन का मुख्य स्रोत हैं। यह श्रम के लगभग 52 प्रतिशत को रोजगार उपलब्ध कराती है। सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में इसकी हिस्सेदारी 14 से 15 प्रतिशतहै।

इस तरह से कोई भी गलत फैसला कृषि अर्थव्यवस्था के आधारभूत ढांचे को क्षति पहुंचा सकता है। एक बार यह ढांचा हिला, तो इस पर जो पूरी संरचना खड़ी है, वह ढह जाएगी। इस पर कोई बड़ा ढांचा बनाने की जगह इसके ढांचे को मजबूत करने की जरूरत है, अन्यथा यह ढह जाएगी।

मैं प्रधानमंत्री की घोषणा की प्रशंसा करता हूं। किसानों की वजहों को समझने में उन्हें एक साल लगा। अंत में यह महत्वपूर्ण है कि ‘किसानों ने आधी लड़ाई जीत ली है।’ चुनावों के मद्देनजर मोदी सरकार द्वारा लिए गए इस यू-टर्न पर बहस होने दीजिए…

देश के किसान अंधे नहीं हैं। भले ही चुनावों के कारण कृषि कानूनों पर यू-टर्न लिया गया हो, उन्होंने देखा कि सरकार ने उनके साथ क्या किया। मोदी और केन्द्रीय गृह मंत्री अमित शाह के साथ संघर्ष करते हुए 700 किसानों की शहादत को किसान भूल नहीं सकते। प्रधानमंत्री की घोषणा अपने अस्तित्व को बचाने के लिए किसानों के संघर्ष का परिणाम है। यह किसानों… सभी भारतीय किसानों की जीत है। मोदी का यू-टर्न संकेत देता है कि हम लोकतांत्रिक देश में अब भी सांस ले सकते हैं।

राकेश टिकेट ने कहा वह धोखेबाज हैं। उन्होंने 15 लाख रुपये देने-जैसे कई वायदे जनता से किए लेकिन कुछ नहीं हुआ। उन्होंने उन लोगों को धोखा दिया जिन्होंने उन पर भरोसा किया। मैं अब भी उन पर भरोसा नहीं करता।

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