लखीमपुर खीरी हिंसा में SIT जांच में दावा, सुनियोजित थी घटना

उत्तर प्रदेश के लखीमपुर खीरी में 3 अक्टूबर को हुई हिंसा की जांच कर रहे विशेष जांच दल  ने मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट  के समक्ष एक आवेदन दायर किया है। इसके तहत 13 आरोपियों के खिलाफ हत्या के प्रयास के आरोपों के तहत उनके अपराध को दंडनीय बनाने के लिए नई धाराओं को शामिल करने का अनुरोध किया गया है। अपने आवेदन में जांच दल ने कहा है कि घटना सुनियोजित थी और एक जानबूझकर किया गया अपराध था, न कि लापरवाही थी।

एसआईटी के जांच अधिकारी विद्याराम दिवाकर ने पिछले हफ्ते सीजेएम की अदालत में आईपीसी की धारा 279, 338 और 304 ए की जगह वारंट में नई धाराएं जोड़ने के लिए आवेदन दायर किया है। जांच अधिकारी ने धारा 279 को बदलने के बाद आईपीसी की धारा 307 (हत्या का प्रयास), 326 (खतरनाक हथियारों या साधनों से स्वेच्छा से गंभीर चोट पहुंचाना), 34 (सामान्य इरादे से कई व्यक्तियों द्वारा किए गए कार्य), 279 (सार्वजनिक रास्ते पर तेजी से वाहन चलाना या सवारी करना), 338 (जो कोई इतनी जल्दबाजी या लापरवाही से किसी भी व्यक्ति को गंभीर चोट पहुंचाता है) और 304ए (लापरवाही से मौत का कारण) को जोड़ने का अनुरोध किया है।

दरअसल इसी साल 3 अक्टूबर को केंद्रीय गृह राज्य मंत्री अजय मिश्रा टेनी के बेटे आशीष मिश्रा की एक एसयूवी की चपेट में आने से चार प्रदर्शनकारी किसानों की मौत हो गई थी, जिसके बाद भड़की हिंसा में चार अन्य लोगों की जान चली गई थी। हिंसा में एक स्थानीय पत्रकार की भी मौत हो गई थी। इस मामले में एसआईटी ने अब तक आशीष मिश्रा, लवकुश, आशीष पांडे, शेखर भारती, अंकित दास, लतीफ, शिशुपाल, नंदन सिंह, सत्यम त्रिपाठी, सुमित जायसवाल, धर्मेंद्र बंजारा, रिंकू राणा और उल्लास त्रिवेदी को गिरफ्तार किया है।

ये सभी लखीमपुर खीरी जिला जेल में बंद हैं। इस बीच इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने राज्य सरकार को आशीष मिश्रा की जमानत अर्जी पर जवाबी हलफनामा दाखिल करने के लिए दो हफ्ते का समय दिया है। मामले की सुनवाई के दौरान अतिरिक्त महाधिवक्ता विनोद शाही ने चल रही जांच से कोर्ट को अवगत कराया। शाही ने कहा कि अभी बड़ी संख्या में गवाहों के बयान दर्ज किए जाने हैं।

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