ऐसा कोई सगा नहीं जिसने झांसी को ठगा नहीं-राजनैतिक विश्लेषक

यह कहावत बुंदेलखंड की राजधानी कहे जाने वाले झांसी पर बिल्कुल सही बैठती है

विकास के नाम पर झांसी मंडल को सभी सरकारों ने ठगा है झांसी जनपद में आज भी कई गांव ऐसे मिल जाएंगे जिनमें 20% लोगों के मकान कच्चे या खपरैल के बने हुए हैं कहने को यहां प्राकृतिक संपदाओं की भरमार है परंतु यहां से कमाकर लोग अपनी फैक्ट्रियां चला रहे हैं परंतु यहां के निवासी आज भी मूलभूत सुविधाओं के लिए तरस रहे हैं

झांसी मंडल के सियासी गणित को इस तरह समझा जा सकता है कि यहां या तो बसपा हावी रही या फिर भाजपा। कांग्रेस और सपा को यहां दूसरी पार्टियों की तुलना में उतनी मजबूती नहीं मिल पाई। यही वजह है कि इस बार अखिलेश यादव झांसी में पूरी ताकत लगाए हुए हैं। उन्होंने बड़ागांव, चिरगांव और मोंठ की सभाओं में भीड़ जुटाकर भगवा खेमे में बेचैनी पैदा कर दी है।

बसपा और कांग्रेस भी अपनी सियासी जमीन को मजबूत करने के लिए कोई कोर कसर नहीं छोड़ रहे। प्रियंका गांधी ललितपुर का दौरा कर चुकी हैं। वहीं, बसपा के सतीश चंद्र मिश्रा ने भी पिछले दिनों झांसी में प्रबुद्ध वर्ग सम्मेलन किया था। झांसी मंडल की सियासी तस्वीर को अगर कम शब्दों में बयां किया जाए तो आप यह मान लीजिए कि सभी नौ सीटों पर इस बार सियासी रण भीषण होने जा रहा है। सभी दल माहौल को अपने पक्ष में करने के लिए पूरी ताकत से जुटे हैं

मुद्दों की बात छिड़ते ही बड़ागांव गेट बाहर निवासी महावीर शरण कहते हैं, कहने को तो शहर अब स्मार्ट सिटी है, पर पानी के संकट से लोग आज भी जूझ रहे हैं। वहीं, अविनाश भार्गव बेबाकी से कहते हैं, आम आदमी और उसकी समस्याओं की याद तो चुनाव में ही आती है। बाद में तो कोई झांकता ही नहीं। हालांकि, कोछाभांवर निवासी रघुवीर कहते हैं, ऐसा नहीं है कि पानी के संकट को दूर करने की दिशा में कदम नहीं उठाए गए हों। पाइपलाइन से पानी पहुंचने लगा है। इससे संकट कम हुआ है। गुमनावारा निवासी रमेश चंद्र भी कहते हैं कि आहिस्ता-आहिस्ता हालात सुधर रहे हैं। पर, शहर के बाहरी इलाकों को ही संवारा जा रहा है।

अंदरूनी इलाकों की आबादी आज भी विकास के लिए तरस रही है। इन इलाकों में संकरी गलियां हैं। साफ-सफाई होती नहीं। रोहताश कुमार भी चर्चा छिड़ते ही सवाल उठाते हैं-कहां हुआ है विकास? आप ही बताइए? ग्वालियर रोड रेलवे क्रॉसिंग पर शहर फंसा रहता है। जब जाओ फाटक बंद। आज तक ओवरब्रिज का निर्माण नहीं करा पाए। सूती मिल बंद पड़ी है। हजारों लोग बेरोजगार हैं। इनके बारे में तो कोई बात ही नहीं होती। छोटे-छोटे शहरों में एयरपोर्ट बन गए। पर, झांसी वालों को हर साल इसका ख्वाब दिखाया जाता है।

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