जानिए कानपुर पुलिस कमिश्नर का इस्तीफा क्यों हुआ

अपने जिले के जिस डीएम (कलेक्टर) या एसपी के खौफ़ से वहां का बड़ा से बड़ा बदमाश और माफिया भी थर्राता हो और वही अफसर चुनाव-तारीखों की घोषणा होते ही अचानक ये ऐलान कर दे कि अब तो मैं इस्तीफा देकर राजनीतिक पार्टी ज्वाइन कर रहा हूं तो कल्पना कीजिये कि वहां के अपराध-जगत में कितने जबरदस्त जश्न का माहौल होगा कानपुर में कल रात शायद कुछ ऐसा ही नजारा होगा

सवाल ये नहीं है कि जब एक शख्स आईएएस या आईपीएस का तमगा हासिल करने से पहले देश के संविधान की शपथ लेते हुए बगैर किसी भेदभाव के जन-सेवा का संकल्प लेते हुए अपनी छाती चौड़ी कर लेता है, बल्कि ये है कि फिर अक्सर ऐसा क्यों होता है कि चुनाव आते ही इनमें से कुछ उसे ऐसे दुत्कार देते हैं, मानो वे दोयम दर्जे की नौकरी कर रहे थे या सरकार के मंत्रियों के गुलाम बने हुए थे? बड़ा सवाल ये है कि हमारे ब्यूरोक्रेट्स को राजनीति से इतना मोह आखिर क्यों होने लगा है? क्या इसलिये कि अपना हक जमाने वाली कामयाबी की मंजिल तक पहुंचने का ये रास्ता उन्हें अब सबसे आसान लगने लगा है?

कानपुर के पुलिस कमिश्ननर असीम अरूण को लेकर बड़ी खबर आ रही है। उन्होंने VRS ले लिया है। चर्चा है कि वह BJP के टिकट पर कन्नौज सीट से चुनाव लड़ सकते हैं। बता दें कि कन्नौज उनका पैतृक गांव है। सबसे पहले स्वॉट गठित करने का श्रेय भी असीम अरूण को जाता है। बताया जा रहा है कि उन्होंने शनिवार दोपहर में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से भी मुलाकात की थी।

असीम अरुण 1994 बैच के आईपीएस अधिकारी हैं। तीन अक्टूबर 1970 को इनका जन्म बदायूं में हुआ था। इनके पिता श्रीराम अरुण भी आईपीएस थे। उनकी गिनती भी प्रदेश के तेजतर्रार आइपीएस में होती थी।

उन्होंने प्रदेश के डीजीपी का पद भी संभाला था।असीम अरुण की मां शशि अरुण जानी-मानी लेखिका हैं। इन्होंने लखनऊ के सेंट फ्रांसिस कॉलेज से प्रारंभिक शिक्षा प्राप्त की और दिल्ली के सेंट स्टीफेंस कॉलेज से बीएससी किया है। आईपीएस असीम अरुण ने सिविल सर्विसेज में हाथ आजमाया। इसका कारण था कि पिता इन्हें अपनी तरह आइपीएस अफसर ही बनते हुए देखना चाहते थे।

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