बढ़ती महंगाई से परेशान, नेपाल की अर्थव्यवस्था दिवालिया होने के कगार पर

भारत के पडोसी देश नेपाल में बढ़ती महंगाई आम लोगों की जिंदगी को नर्क बना रही है। चूंकि सरकारी कंपनी नेपाल आयल ने खुद को दिवालिया घोषित कर दिया है इसलिए आने वाले महीनों में हालात बद से बदतर होंगे। नेपाल में पेट्रोल के दाम पहले ही 150 रुपये लीटर पहुंच चुके हैं। मौजूदा घटनाक्रम से इसमें और तेजी आने की आशंका है। पेट्रोलियम पदार्थों की बढ़ती कीमतों ने महंगाई को बेतहाशा बढ़ा दिया है।

नेपाल की पर्यटन आधारित अर्थव्यवस्था कोविड की बजह से पहले से ही अपने सबसे बुरे दौर से गुजर रही है।ऊपर से पेट्रोलियम पदार्थों के बेतहाशा बढ़ते दाम ने जनता की जेबें निचोड़ ली हैं। अंतराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमतें बढ़ने से भी आने वाले समय में पेट्रोलियम उत्पादों के दामों में कोई राहत मिलने के आसार नहीं हैं।

श्रीलंका की ही तरह नेपाल में भी बढ़ती महंगाई और बेरोजगारी ने पर्यटन पर आश्रित अर्थव्यवस्था को बेदम कर दिया है। इससे यहां की अर्थव्यस्था पर मंदी छा गई है। पिछले 64 महीनों में यहां पर महंगाई की दर सर्वाधिक यानी 7.11 फीसद है। खाने-पीने की वस्तुओं के भी दाम आसमान छू रहे हैं। नेपाल का आयात बिल भी एक खरब रुपये को पार कर गया है।

ऐसी परिस्थिति में नेपाल सरकार अपने पड़ोसी देश चीन और भारत की तरफ टकटकी लगाकर देख रही है क्योंकि हर बुरे समय में भारत में नेपाल की मदद की है और वैसे भी पूरी दुनिया में नेपाल ही एक हिंदू राष्ट्र है और भारत में भी हिंदुओं की आबादी सर्वाधिक है चाइना आपने स्वार्थ के लिए भी नेपाल की मदद कर सकता है पाकिस्तान से नेपाल को कोई उम्मीद नहीं है क्योंकि पाकिस्तान खुद ही महंगाई की मार से परेशान है

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