रूस के हमले से यूक्रेन में फंसे छात्रों को भारत सरकार ने सकुशल पहुंचाया घर

राष्ट्रीय जजमेंट न्यूज़ गाजीपुर 

संवाददाता हरिनारायण यादव 

गाजीपुर। दुल्लहपुर थाना क्षेत्र के देवा गांव निवासी सुभाष पांडे के पुत्र शिशिर पांडे विगत दिनों यूक्रेन के कीव में एमबीबीएस की पढ़ाई करने के लिए गए हुए थे जिसमें रूस के युक्रेन पर हमले के बाद हालत काफी खराब होने पर भारत के छात्रों को वापस लाने के लिए प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी ने भारत से अलग-अलग देशों में कैबिनेट के मंत्री और हवाई सेना के जहाज भेज कर वहां फंसे छात्रों को बाहर निकालने का कार्य किया। जिसमें पूरी तरह से निःशुल्क स्लोवाकिया देश से भारत के वायुसेना के जहाज ने 220 छात्रों को 7 घंटे में हिंडन एयरबेस गाजियाबाद में लैंड कराया और सभी छात्रों को यूपी भवन पहुंचाया गया ।जहां से सभी छात्रों को भोजन नाश्ता कराने के बाद इनोवा कार से जगह-जगह घर भेजा गया। इसके तहत इनोवा कार से चार लोगों को लाया गया जिसमें कानपुर के दो भाई-बहन,तथा भुड़कुड़ा के प्रदुमपुर के ओमकार श्रीवास्तव सहित दुल्लहपुर थाना क्षेत्र के देवा गांव निवासी शिशिर पांडे को आज सुबह 10:00 बजे घर पहुंचाया गया ।घर पहुंचते ही अध्यापिका माँ निर्मला पांडे ने अपने बेटे को गले लगा कर रोने लगे तथा मौके पर ग्रामीणों ने फूल माला पहनाकर स्वागत किया ।इस मौके पर परिजनों और गांव वालों ने नरेंद्र मोदी की जमकर सराहना की ।अमर उजाला की टीम ने छात्र शिशिर पांडे से विशेष बातचीत में बताया कि 23 फरवरी की रात 4:30 बजे रूस ने यूक्रेन के ऊपर हमला किया जैसे तेज धमाके हुए धमाके की आवाज सुनते सब लोग नीद से जाग कर खिड़कियों से बाहर देखा गया तो पूरी तरह से अफरा-तफरी का माहौल था ।बहुत से लोग कार से सड़कों पर इधर उधर भागते हुए नजर आए तथा दुकानों पर लंबी लाइनें लग चुकी थी। इसके बाद हम लोग भी हॉस्टल में सबसे पहले पानी लेने चले गए। उसके बाद हॉस्टल के नीचे बंकर में सभी छात्र सुरक्षित रहने लगे। 3 दिन बाद ट्रेन से पैसे देकर लबिब पहुंचे तथा वहां से मिनी कार से स्लोवाकिया पहुंचे। वहां से भारतीय वायुहवाई सेना के जहाज ने सभी छात्रों को सकुशल स्वदेश लाया।उन्होंने कहा कि विश्व भारत एक ऐसा देश है जो अपने छात्रों को स्वदेश लाने के लिए कैबिनेट मंत्री से लेकर हवाई सेना का जहाज भेज कर स्वदेश लाया है जबकि वहां पर अन्य देश के लोग भी छात्र मौजूद थे जो अपने देश जाना चाहते थे लेकिन साधन के अभाव में नहीं जा पा रहे थे।

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