न कोई नियम न कोई कायदा, आंवला की सडको पर बस डग्गामार वाहन ही एक मात्र रास्ता

समाचारपत्र मे लगातार खबरे प्रकाशन के बाद भी नही चेत रहा आंवला प्रशासन, शायद कर रहा बडी सडक दुर्घटना का इन्तजार

ऑवला बरेली। सरकारे सडक दुर्घटनाओं से यात्रियो को बचाने के लिये लाख नियम कायदे कानून बना ले पर इन कानून को का पालन कराने वाले जब तक इन नियमो को कायदे से लागू न कराये तब तक भला इन नियमो का क्या फायदा।
बडा अजीब बात है कि एक दोपहिया वाहन पर कभी मजबूरी मे दो की जगह तीन सवारियो को बिठालकर वाहन दौडाने वाले वाहन चालक पर पुलिसिया डण्डा इतनी जोर से चलता है कि उसके मुंह से ऊफ तक नही निकलती|
वही दूसरी तरफ बरेली की सडको पर रोज दौडने वाले डग्गामार वाहनो मे ठूस ठूस कर भरी हुई सवारिया न तो स्थानीय पुलिस को दिखाई देती है और न ही यातायात नियमों का पालन करवाने के लिये गठित ट्रेफिक पुलिस को। अब बरेली की तहसील आंवला को ही ले लीजिये कहने को तो आंवला सर्किल होने की बजह से यहां पुलिस क्षेत्राधिकारी की तैनाती है इस हिसाब से आंवला सर्किल मे पांच थाने आते है। बाबजूद इसके आंवला पुलिस को अवैध तरीके से बिना परमिट रोजाना बडी संख्या मे सडको पर दौडते डग्गामार वाहन दिखाई नही देते।
आलम यह है कि आंवला कोतवाली के सामने से ही रोजाना दिन मे न जाने कितने ही ऐसे वाहन सवारिया ठूस ठूस कर रोज निकलते है जो कोतवाली पुलिस को दिखाई ही नही देते। यही नही सवारियो को ठूस ठूस कर अपने वाहन मे भर उनकी जान जोखिम मे डालकर अवैध तरीके से संचालन करने वालो पर कार्यवाही तो छोडिये स्थानीय प्रशासन उनसे पूछने तक की हिम्मत नही जुटा पाता है। सिर्फ छोटे ही नही बडे वाहन भी रोजाना होते है संचालित
जानकारो की माने आंवला मे ऐसी एक जगह नही है जहां से ये डग्गामार वाहनो का संचालन होता है‌।वजीरगंज बस स्टैण्ड, बिसौली स्टैण्ड, अलीगंज बस स्टैण्ड आदि जगहो से रोजना ऐसे वाहनो का संचालन बडी मात्रा मे होता है।
यही नही इनके अलावा आंवला से दिल्ली, चण्डीगढ़ जैसे लम्बे लम्बे रुटो पर बडी बडी बसो का संचालन भी रोजना होता है।
सूत्रो की माने तो रोजाना चलने वाले इस अवैध धंधे को स्टैण्ड पर यूनियन बनाकर वाहनो से वसूली करने वालो के साथ ही इन बसो के ठेकोदार आंवला मे जगह जगह इन अवैध चलने वाली बसो से मोटी उगाही करते है।
मिठाई के नाम ठेकेदारो को पहुचाना पडता महीना
जानकारी यहां तक‌ मिली है कि डग्गामार वाहनो को संचालन के इस बडे खेल मे आंवला मे इन वाहनो के ठेकेदारो द्वारा जिम्मेदारो के यहां मिठाई के नाम पर मोटी रकम हर महीने भिजवाना पडती है। खैर यहां बडा सवाल है कि केवल अपनी जेव भारी करने के लिये आंवला प्रशासन इन डग्गामार वाहनो के संचालन मे अपनी भूमिका निभाकर लोगो की जान से खिलबाड कैसे कर सकता है?
क्या ऐसा करने से यातायात नियमो का सख्ती से पालन कराने हेतु सरकारो द्वारा तमाम तरीके से लोगो‌ को जागरुक करने के प्रयासों को पलीता लगाना नही है। अब देखना दिलचस्प होगा कि सडको पर बेधडक दौडते इन डग्गामार वाहनो पर आंवला प्रशासन क्या कार्यवाही करता है?

Comments are closed.

This website uses cookies to improve your experience. We'll assume you're ok with this, but you can opt-out if you wish. Accept Read More