पत्नी ने गर्भधारण करने के लिए जेल में बंद पति को पैरोल पर छोड़ने की गुहार

जेल में बंद एक बंदी की पत्नी ने गर्भधारण करने के लिए अपने पति को पैरोल पर छोड़ने की गुहार लगाई है। पत्नी ने जोधपुर हाईकोर्ट में याचिका पेश की। जिसके बाद कोर्ट ने बंदी पति को 15 दिन के पैरोल पर रिहा करने का आदेश दिया है।
अजमेर सेंट्रल जेल में बंदी आजीवन उम्रकैद की सजा काट रहा है। इससे पहले भी पत्नी ने मां बनने के लिए अजमेर जिला कलेक्टर को अर्जी दी थी। जब वहां सुनवाई नहीं हुई तो पत्नी ने हाईकोर्ट का रुख किया।
राजस्थान हाईकोर्ट जस्टिस संदीप मेहता और जस्टिस फरजंद अली की खंडपीठ ने महत्वपूर्ण फैसला सुनाते हुए बंदी को सशर्त पैरोल देने के आदेश दिए हैं। खंडपीठ ने मामले में सुनवाई करते हुए कहा कि पैरोल नियम 2021 में कैदी को उसकी पत्नी के संतान होने के आधार पर पैरोल पर रिहा करने का कोई स्पष्ट प्रावधान नहीं है। फिर भी धार्मिक, दार्शनिक, सांस्कृतिक और सामाजिक और मानवीय मूल्यों पर विचार करते हुए भारत के संविधान द्वारा मौलिक अधिकार को लेकर दी गई गारंटी और इसके साथ इसमें निहित असाधारण शक्तियों का प्रयोग करते हुए यह कोर्ट याचिका को स्वीकार करता है।

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