शासन को चूना लगाने वालों ने शिकायत की तो कलेक्टर चन्द्रमौली शुक्ला ने ब्लेकमेलर बताकर पत्रकार चंचल भारतीय को जिला बदर कर दिया

राष्ट्रीय जजमेंट न्यूज़ 

संवाददाता हरिशंकर पाराशर 

देवास :कलेक्टर चन्द्रमौली शुक्ला ने चंचल भारतीय नामक एक पत्रकार को जिला बदर कर दिया। कलेक्टर चन्द्रमौली शुक्ला ने पत्रकार चंचल भारतीय को जिला बदर नहीं किया है, अपितु अपनी अयोग्यता का ढिंढोरा पीटा है तथा पत्रकारों के खिलाफ शिवराज सरकार की षड़यंत्रकारी मानसिकता को उजागर किया है।

मध्यप्रदेश के सिधी जिले में पहले पत्रकारों को थाने में नंगा खड़ा किया गया और अब देवास में कन्नौद के जनहितैषी पत्रकार, चंचल भारतीय को जिला बदर कर दिया गया है। आखिर मध्यप्रदेश में ये चल क्या रहा है? शिवराज सरकार पत्रकारों के प्रति इतनी असंवेदनशील क्यों होती जा रही हैं? पत्रकारों को प्रताड़ना और दलालों को प्रोत्साहन क्यों दिया जा रहा है? कड़वा सच तो यह है कि शिवराज शासन में प्रखर पत्रकारों के खिलाफ दलालों का सहारा लेकर वातावरण बनाने की कोशिश की जा रही हैं।

कुछ समय पहले इंदौर प्रेस क्लब द्वारा फर्जी पत्रकारों के खिलाफ चलाई गई मुहिम को भी इसी तारतम्य में देखा जाना चाहिए और पत्रकार चंचल भारतीय को जिला बदर करना,उसका दुष्परिणाम। यहां भी पत्रकार चंचल भारतीय के खिलाफ शिकायत करने वाले तथाकथित पत्रकार ही है,वे पत्रकार,जो पत्रकारिता के नाम पर शासन को चूना लगा रहे हैं, जिनके लिए जागरूक पत्रकार चंचल भारतीय परेशानी का कारण रहा है।

जिला बदर होने वाला पत्रकार चंचल भारतीय, पत्रकारिता के साथ-साथ शासन को चूना लगाने वालों, प्रशासन में भ्रष्टाचार एवं अव्यवस्था फैलाने वालों के खिलाफ शिकायत भी करता रहा है। चंचल भारतीय खुद ही शिकायत नहीं करता, अपितु जो प्रताड़ित,परेशान नागरिक उसके पास आते हैं, उन्हें भी शिकायत करने का मश्विरा दिया करता है,

शिकायत करने का तरीका बताया करता है। भारतीय की शिकायत पर अनेक अधिकारी-कर्मचारियों के खिलाफ कार्रवाई हुई है, शासन को चूना लगाने वालों से लाखो रुपए जुर्माना वसूला गया है। तत्कालीन कलेक्टर ने चंचल भारतीय द्वारा की गई शिकायत पर आर सी कुंडल एंड संस भारत पेट्रोलियम कारपोरेशन लिमिटेड के पंप पर 9758150/- रुपए की लिज वसूली का आदेश पारित किया था।

कन्नौद रहे तत्कालीन एडिशनल एसपी नीरज चौरसिया की भी एक मामले में पुलिस महानिदेशक भोपाल को शिकायत की थी तत्काल प्रभाव से स्थानतरण रीवा किया गया था। जिसके बाद कन्नौद के तत्कालीन अनेकानेक शिकायतें जिला प्रशासन के मुखिया होने के नाते कलेक्टर चन्द्रमौली शुक्ला की टेबल तक भी पहुंची है, उन्होंने चंचल भारतीय की शिकायतों पर जिम्मेदार अधिकारियों को आदेशित भी किया हैं। प्रायः पत्रकार शिकायत नहीं करते, चूंकि चंचल भारतीय पत्रकार होने से पहले एक नागरिक हैं और शासन-प्रशासन में इतनी नैतिकता बची नहीं कि वे मीडिया खबरों पर ध्यान देते हुए मामलों का संज्ञान ले, इसलिए चंचल भारतीय ने पत्रकारिता के साथ-साथ शिकायत करने का नागरिक कर्तव्य भी धारण किया।

शासन-प्रशासन के गलियारों में फैली अनैतिक गतिविधियों की शिकायत करना ब्लेकमेलिंग नहीं,अपितु नागरिक धर्म है। कलेक्टर चन्द्रमौली शुक्ला विचार करें कि उन्होंने पत्रकार चंचल भारतीय को जिला बदर कर, नागरिक धर्म को तो देवास से जिला बदर नहीं किया है? चंचल भारतीय की शिकायतों पर अनेक कार्रवाईयां हुई हैं।

सतवास थाना प्रभारी रहे उपनिरीक्षक नरेंद्र बहादुर सिंह परिहार को लाईन अटैच किया गया,एक टीआई को इस जिला बदर पत्रकार चंचल भारतीय की शिकायत पर, रातों-रात एसपी रीडर बनाकर मैदानी तैनाती से हटा लिया गया था।

इस जिला बदर पत्रकार के खिलाफ शिकायत करने वाले तथाकथित पत्रकार पर कलेक्टर चन्द्रमौली शुक्ला के प्रशासन ने ओवरलोड ट्रैक्टर ट्राली परिवहन के आरोप में 25000 का जुर्माना लगाया है,यह बंदा ट्रेक्टर को ट्राला बनाकर अवैध रेत परिवहन कर रहा था। एक अन्य शिकायतकर्ता पत्रकार का केबल व्यवसाय है,जो शासन को चूना लगा रहा था,चंचल भारतीय की शिकायत पर उस पर भी कार्रवाई हुई है। व्यक्तिगत दुश्मनी के तहत चंचल भारतीय के खिलाफ शिकायत की गई और विद्वान कलेक्टर ने उसे जिला बदर करके,उसके माथे पर जिला बदर होने का ठप्पा लगा दिया। कलेक्टर चन्द्रमौली शुक्ला कभी अपने विवेक से भी काम लेते हैं या नहीं,या फिर अधिनस्थ एवं नेताओं द्वारा संचालित होते रहना ही प्रशासनिक कर्तव्य समझते हैं?

चंचल भारतीय को जिला बदर करने से पहले कलेक्टर शिकायत करने वालों की पृष्ठभूमि भी जान लेते, उनकी चंचल भारतीय से दुश्मनी क्या है..?यह जान लेते, उसके बाद इतनी बड़ी और बेरम कार्रवाई करते। चंचल भारतीय के खिलाफ शिकायत करने वालों को भी पत्रकार बताया जा रहा है,देखा जाना चाहिए कि क्या ये जनसंपर्क विभाग द्वारा पंजीकृत पत्रकार हैं? क्या इनको मीडिया संस्थानों द्वारा संवाददाता के रूप में अधिकृत किया गया है?

या फिर शासन को चूना लगाने के लिए इन्होंने पत्रकार का लबादा ओढ़ रखा है?चंचल भारतीय के खिलाफ कार्रवाई हुई तो कन्नौद एवं जिला मुख्यालय पर पत्रकारिता के नाम पर दलाली तथा कुत्तागिरी करने वाले पत्रकार मुखर हो गए और चंचल भारतीय को ब्लेकमेलर सम्बोधित करने लगे,अब इन दलालों को कौन बताए कि जिला प्रशासन ने पत्रकार चंचल भारतीय को जिला बदर नहीं किया है, बल्कि पत्रकारिता को जिला बदर कर दिया है।

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