लखनऊ: ड्राइविंग लाइसेंस बनवाने वाले आवेदक हुए त्रस्त, साइबर संचालक हुए मस्त

आधार से घर बैठे लर्निंग लाइसेंस बनवाना, आवेदको को सूली पर चढ जाना हो रहा साबित

परिवहन विभाग के जोनल अधिकारी (डीटीसी) ने बताया कि गलत फॉर्म भरने और वायलेशन आने से निरस्त हो रही लर्निंग लाइसेंस

ए के दुबे
लखनऊ। परिवहन विभाग द्वारा आम-जनमानस को सुविधाएं मुहैया कराने के लिए लगातार मुहिम चलाया जा रहा है। इस दिशा मे घर बैठे ड्राइविंग लाइसेंस बनवाने के लिए विभाग द्वारा कुछ महीने पहले नई पहल शुरू की गई थी। जिसमें आवेदक ऑनलाइन आधार से लर्निंग लाइसेंस बनवा सकते है। लेकिन यह सुविधा भारी तादात मे आवेदको के लिए घातक साबित हो रही है।

प्राप्त जानकारी के अनुसार इसमे आवेदकों द्वारा लर्निंग अप्लाई करने के दौरान उनके मोबाइल पर ओटीपी भेजा जाता है उस ओटीपी को डालने के बाद फीस जमा हो जाती है। उसके बाद या दूसरे दिन एक पासवर्ड आता है इस पासवर्ड को डालकर आवेदक घर बैठे ऑनलाइन लर्निंग का टेस्ट दे सकते है।

ऑनलाइन लर्निंग अप्लाई करते समय आवेदक को आधार व अपनी फोटो अपलोड करनी होती है जिसमें आधार से फोटो का मैच न करना, मोबाइल पर ओटीपी और पासवर्ड न आने, टेस्ट के समय वाइलेसन आने और आवेदको द्वारा टेस्ट के समय दाये- बाये मुड़ने, समय स्लाट न मिलने, के साथ कई अन्य टेक्निकल समस्याओ से आवेदको की लर्निंग अपलाई नही हो पा रही है।

आरटीओ दफ्तर आए कई आवेदकों से बातचीत करने के दौरान बताया कि उनकी लर्निंग ऑटोमेटिक निरस्त  हो गई है। जिससे की लर्निंग फीस बर्बाद हो गई है। और मजबूर होकर दोबारा फीस जमा किया कुछ आवेदकों ने बताया कि हमारे मोबाइल पर ओटीपी नहीं आया तो किसी ने था कि पासवर्ड नहीं आया और कुछ आवेदकों ने बताया कि कई बार फीस जमा करने के बावजूद भी लर्निंग लाइसेंस नही बन सका। जिससे हताश और परेशान होकर आवेदको को आरटीओ दफ्तर के चक्कर लगाने पड़ रहे है। लेकिन यहां बैठे अधिकारी इस संबंध में कुछ करने से लाचार दिख रहे है।

आवेदक इस गंभीर समस्या से हताश व परेशान होकर बाहर बैठे एजेटो और साइबर कैफो द्वारा लर्निंग लाइसेंस बनवाने के लिए भटकते दिखाई पड़ रहे है। इस अवसर का लाभ उठाते हुए एजेंटों एवं साइबर कैफो द्वारा लर्निंग लाइसेंस का टेस्ट पास कराने और लर्निंग लाइसेंस बनवाने के नाम पर 1500 से 2000 तक वसूले जाने की चर्चा है। इसके बावजूद भी आवेदको का लर्निंग लाइसेंस नहीं बनवा पा रहे है।

जबकि आरटीओ दफ्तर को लर्निंग लाइसेंस बनवाने के लिए मात्र 6 स्लाट उपलब्ध कराए गए है। ऐसे मे दफ्तर में बैठे अधिकारी आवेदकों की समस्याओं का समाधान करने मे नतमस्तक दिखाई पड़ रहे है। वही इस फेसलेस ऑनलाइन व्यवस्था ने कम पढ़े लिखे और ग्रामीण जनता को मूकदर्शक बना दिया। इन लोगो के पास मोबाइल व कंप्यूटर का पर्याप्त ज्ञान ना होने से साइबर कैफो के द्वारा अपना कार्य कराते है।

जिसका साइबर कैफे द्वारा भरपूर लाभ उठाया जा रहा है। और लर्निंग लाइसेंस बनवाने के नाम पर जमकर धन-उगाही कर शोषण किया जा रहा है। इस संबंध मे जब आरटीओ दफ्तर के आर आई प्रशांत कुमार से बात-चीत की गई तो उन्होंने बताया कि ऑनलाइन टेस्ट के दौरान वायलेशन और नकल करने से ऑटोमेटिक लर्निंग रिजेक्ट हो रही है।

इसके बाद परिवहन विभाग के जोनल अधिकारी (डीटीसी) निर्मल प्रसाद से बात की गई तो उन्होंने बताया की ऑनलाइन फॉर्म भरते समय फॉर्म में गलतियां हो जाना, टेस्ट के समय दाएं बाएं होने या पीछे से परछाई पर जाना, टेस्ट के दौरान नकल करने या आस-पास किसी की आहट या फोटो आने से ऑटोमेटिक लर्निंग निरस्त हो जाती है। डीटीसी से जब यह पूछा गया कि इससे तो आवेदकों को परेशानी का सामना करने के साथ उनकी फीस डूब रही है दोबारा फीस जमा करनी पड़ रही कई आवेदक तो कई बार फीस जमा करने के बावजूद भी अपना लर्निंग लाइसेंस नहीं बनवा पा रहे है।

इस सवाल का जवाब उन्होंने दिया कि नई व्यवस्था शुरू की गई है। इसमें ग्रामीण जनता और कम पढ़े लिखे लोगो के द्वारा सही आवेदन ना करने से उनकी लर्निंग निरस्त हो रही है। उन्होंने यह भी बताया कि इससे पहले जो व्यवस्था थी। उसमें शिकायतें मिलती थी। कि आवेदकों को बार-बार आरटीओ दफ्तर के चक्कर लगाने पड़ते है और एजेंटो द्वारा लाइसेंस के नाम पर अवैध कमाई की जाती है। इन तमाम शिकायतों को संज्ञानता मे लेते हुए विभाग द्वारा घर बैठे ऑनलाइन ड्राइविंग लाइसेंस बनवाने की सुविधा मुहैया कराई गई है।

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