उद्धव हुए उदास और मायूस! बोले अपनों ने ही छोड़ा साथ, कांग्रेस व एनसीपी का साथ

मुंबई : शिवसेना अध्यक्ष और महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने बगावत का सामना कर रही अपनी पार्टी के पदाधिकारियों से शुक्रवार को बातचीत की और पार्टी तथा महा विकास आघाड़ी (एमवीए) सरकार के अस्तित्व को लेकर जारी आशंकाओं को दूर करने का प्रयास किया. शिवसेना, एकनाथ शिंदे के अलग होने और कई विधायकों के समर्थन से उनके एक विद्रोही गुट बनाने के बाद पार्टी के अंदर बगावत का सामना कर रही है. शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे ने शनिवार को पार्टी कार्यकारिणी की बैठक भी बुलाई है.

अपने पार्टी पदाधिकारियों को संबोधित करते हुए उद्धव ठाकरे ने कहा कि हमें कांग्रेस औ एनसीपी सपोर्ट कर रहीं हैं. सोनिया गांधी भी हमारा साथ दे रहीं हैं. लेकिन हमारे अपने ही हमारा साथ नहीं दे रहे हैं. उन्होंने कहा कि जो लोग कहीं नहीं जीत सकते थे, उन्हें हमने टिकट देकर जितवाया. आज वे ही हमारी पीठ में छुरा भोंक रहे हैं. उद्धव ने कहा कि हमें भाजपा ने धोखा दिया. हम तो इस्तीफा देने के लिए तैयार हैं. मैं सत्ता का लालची नहीं हूं.

अभी थोड़ी देर पहले मातोश्री में एक बैठक हुई. बैठक में शरद पवार और अजित पवार मौजूद थे. बैठक में संजय राउत भी शामिल थे. दूसरी ओर विधानसभा उपाध्यक्ष ने एडवोकेट जनरल से बात की है. वे 16 बागी विधायकों की सदस्यता रद्द करने के मुद्दे पर सलाह ले रहे हैं.

शिंदे वर्तमान में शिवसेना के कम से कम 38 बागी विधायकों और 10 निर्दलीय विधायकों के साथ गुवाहाटी में डेरा डाले हुए हैं. उन्होंने दावा किया है कि उनके नेतृत्व वाला गुट असली शिवसेना है. मध्य मुंबई के दादर में शिवसेना भवन में पार्टी की जिला इकाई के प्रमुखों और संपर्क प्रमुखों को डिजिटल माध्यम से संबोधित करते हुए उद्धव ने कहा कि उन्होंने मुख्यमंत्री का आधिकारिक आवास खाली कर दिया है, लेकिन उनका दृढ़ संकल्प बरकरार है.उन्होंने कहा, ‘पहले भी पार्टी में विद्रोह होने के बावजूद शिवसेना दो बार सत्ता में आई. मैंने मुख्यमंत्री का आधिकारिक आवास वर्षा खाली कर दिया है, लेकिन अपना दृढ़ संकल्प नहीं छोड़ा.’ ठाकरे ने कहा कि पिछले ढाई साल में उन्होंने अपनी खराब सेहत के साथ-साथ कोविड-19 महामारी से लड़ाई लड़ी, लेकिन विरोधियों ने इस स्थिति का फायदा उठाया. ठाकरे ने कहा कि मैंने नहीं सोचा था कि ऐसा होगा. उन्होंने कहा कि कुछ दिनों से मैं बीमार था, इसलिए आपलोगों से नहीं मिल पाया, लेकिन अब मैं सभी से मिल रहा हूं.\

शिवसेना नेता और मंत्री आदित्य ठाकरे मुख्यमंत्री के संबोधन के दौरान शिवसेना भवन में मौजूद थे. शिंदे के विद्रोह के मद्देनजर उद्धव ठाकरे ने बुधवार रात दक्षिण मुंबई में अपना आधिकारिक आवास खाली कर दिया और उपनगर बांद्रा स्थित अपने पारिवारिक आवास चले गए.और क्या कुछ कहा उद्धव ने – उद्धव ने कहा कि कैबिनेट मंत्री एकनाथ शिंदे का बेटा लोकसभा सांसद है, तो क्या उनके बेटे आदित्य ठाकरे को राजनीतिक रूप से आगे नहीं बढ़ना चाहिए. उन्होंने शिवसेना में विद्रोह के लिए सार्वजनिक रूप से विपक्षी दल भाजपा को दोषी ठहराया. ठाकरे ने कहा कि भाजपा ने उनकी महा विकास आघाड़ी (एमवीए) गठबंधन सरकार की स्थिरता को खतरा पैदा कर दिया है. पार्टी पदाधिकारियों को संबोधित करते हुए शिवसेना अध्यक्ष ने कहा कि वह विधायकों द्वारा दलबदल से चिंतित नहीं, क्योंकि वह उन्हें एक पेड़ के रोग पीड़ित फल-फूल मानते हैं.
उद्धव ने पार्टी कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए कहा, ‘आप पेड़ के फल-फूल लेते हैं. लेकिन जब तक जड़ें (पदाधिकारी और कार्यकर्ता) मजबूत हैं, तब तक मुझे चिंता करने की जरूरत नहीं है. जड़ें कभी नहीं उखड़ सकतीं. हर मौसम में नए पत्ते आते और फूल खिलते हैं. रोग से पीड़ित पत्तियों की तोड़कर फेंकने की जरूरत है. वर्तमान स्थिति पर इसी संदर्भ में विचार करें.’

ठाकरे ने कहा कि शिंदे ने उन्हें कुछ समय पहले कहा था कि शिवसेना के विधायकों को लगता है कि पार्टी को पूर्व सहयोगी भाजपा के साथ वापस जाना चाहिए. उन्होंने कहा, ‘आप किस तरह के शिवसैनिक हैं ? क्या आप भाजपा की ‘उपयोग करो और फेंक दो’ की नीति और मातोश्री (उपनगरीय बांद्रा में ठाकरे के निजी आवास) के खिलाफ बेबुनियाद आरोप लगाने से आहत महसूस नहीं करते हैं.

उद्धव ने सवालिया लहजे में कहा कि आपका बेटा (श्रीकांत शिंदे) सांसद हो सकता है, लेकिन क्या आदित्य को राजनीतिक रूप से विकसित नहीं होना चाहिए. श्रीकांत शिंदे कल्याण से लोकसभा सांसद हैं, जबकि मुख्यमंत्री के बेटे आदित्य ठाकरे राज्य के कैबिनेट मंत्री हैं, जिनके पास पर्यावरण और पर्यटन विभाग है.असम में बागी विधायकों के साथ डेरा डाले हुए शिंदे पर निशाना साधते हुए ठाकरे ने कहा, ‘बालासाहेब ठाकरे के निधन (2012 में) के बाद उन्हें दो बार मंत्री बनाया गया था. आपको ठाकरे का नाम अपनी राजनीति से बाहर रखना चाहिए. आप को देखना चाहिए कि क्या आप अपना अस्तित्व बचा सकते हैं. कोई भी ठाकरे को शिवसेना से अलग नहीं कर सकता है.’

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