मुस्लिम महिलाओं को तीन तलाक बोलकर उत्पीड़न करने के मामले अब भी सामने आ रहे हैं। लेकिन तीन साल पहले बने इस कानून से पीड़ित महिलाओं को न्याय की राह दिख रही है। मुकदमे दर्ज कर आरोपियों को जेल भेजा जा रहा है, वहीं पुलिस की कार्रवाई से शिकायतों का ग्राफ गिरा है।
एक अगस्त 2019 को संसद में तीन तलाक अधिनियम को मंजूरी मिली थी। आगरा जोन में पहला मुकदमा मथुरा में लिखा गया था। इसके बाद पुलिस ने कार्रवाई की।
इसके बाद कई पीड़ित महिलाओं ने पुलिस अधिकारियों और थानों में शिकायत की। आरोपी जेल भेजे गए। आगरा जोन में अलीगढ़ में महिलाओं ने सबसे ज्यादा मुकदमे दर्ज कराए। आगरा दूसरे नंबर पर रहा।
जिला |
मुकदमे |
अलीगढ़ |
161 |
आगरा |
61 |
कासगंज |
47 |
मथुरा |
43 |
फिरोजाबाद |
38 |
हाथरस |
13 |
मैनपुरी |
03 |
अक्तूबर 2021 में पति ने पत्नी को पुलिस लाइन के बाहर तलाक बोल दिया था। पत्नी काउंसिलिंग में आई थी। पुलिस ने मुकदमा दर्ज कर आरोपी पति को जेल भेजा।अगस्त 2021 में मंटोला पुलिस ने पूर्व मंत्री चौधरी बशीर को जेल भेजा था। मामले के अनुसार, करीम नगर निवासी उनकी पत्नी नगमा ने मुकदमा दर्ज कराया था। इसमें तीन तलाक बोलने का आरोप था।
वरिष्ठ अधिवक्ता दुर्ग विजय सिंह ने बताया कि इस मामले में मुस्लिम महिला (विवाह अधिनियम संरक्षण) एक्ट की धारा तीन और चार में मुकदमा दर्ज किया जाता है। यह संज्ञेय अपराध की श्रेणी में है। पुलिस आरोपी को बिना वारंट के गिरफ्तार कर सकती है। वादी मुकदमा को सुनने के बाद जमानत पर निर्णय कोर्ट लेती है। इसमें दोषी पाए जाने वाले को तीन साल की सजा हो सकती है।
आगरा जोन के एडीजी राजीव कृष्ण ने बताया कि पीड़ित महिलाओं की शिकायत मिलने पर तत्काल मुकदमा दर्ज कर कार्रवाई की जाती है। कानून के प्रावधानों का सख्ती से पालन कराया जाता है। आरोपियों को जेल भेजा जा रहा है
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