केंद्र से भेजे गए तिरंगों में मिली खामियां: जिले में सत्यापन के बाद 2 लाख तिरंगा भेजा वापस

सतना। हर घर तिरंगा अभियान के तहत भारत सरकार द्वारा सतना भेजे गए दो लाख झंडा सत्यापन के बाद तिरंगा सहिंता के मुताबिक नहीं होने पर वापस भेज दिया गया. जिम्मेदार अधिकारी की मानें तो भारत सरकार के संस्कृति विभाग द्वारा सतना भेजे गए दो लाख तिरंगे में अशोक चक्र बीच में नहीं था. झंडे की क्वालिटी भी ठीक नहीं थी.

भेजे गए 2 लाख झंडे में 24 हजार झंडों का भैतिक सत्यापन किया गया, जो ध्वज संहिता और तिरंगा प्रोटोकाल के मुताबिक नहीं पाए गए. सभी दो लाख झंडों को ट्रक में लोड करने के बाद सतना जिला प्रशासन ने वापस गुजरात भेज दिया गया है.

13 अगस्त से 15 अगस्त तक हर घर तिरंगा अभियान के तहत पूरे देश में तैयारियां जोरों पर दिख रही है. सतना जिले में 05 घरों में तिरंगा लगाने लक्ष्य रखा गया है. 05 लाख झाड़ों में से 03 झंडे स्थानीय महिला स्वसमूह तैयार कर रही हैं, जबकि 02 लाख झंडे मध्यप्रदेश संस्कृति विभाग के जरिए भारत सरकार के संस्कृति विभाग से मंगाए गए थे.

31 जुलाई को भारत सरकार के संस्कृति विभाग ने 02 लाख झंडे सतना को भेजे थे. सतना जिला प्रशासन की टीम ने करीब 24 हजार झंडों का भौतिक सत्यापन किया. जिनमें ना तो क्वालिटी थी और ना ही अशोक चक्र अपने स्थान पर छपा हुआ था. कलेक्टर की अगुवाई में हुई बैठक में सभी 02 लाख झंडे वापस भेजने का निर्णय लिया गया. नतीजतन आज ट्रक में लोड कर पूरे 02 लाख झंडे गुजरात की निर्माण कंपनी को वापस भेज दिए और भारत सरकार के संस्कृति विभाग को सूचित कर दिया गया.

जिला कार्यक्रम अधिकारी सौरभ सिंह ने बताया कि भारत सरकार के संस्कृति विभाग द्वारा भेजे गये झंडों के भौतिक सत्यापन में ना तो क्वालिटी ठीक पाई गई और ना ही अशोक चक्र सही जगह पर बना मिला. एक दो नहीं बल्कि 24 हजार झंडों को चेक करने के बाद वापस भेजने का निर्णय लिया गया है. तिरंगा सहिंता और तिरंगा प्रोटोकॉल के मुताबिक न होने से अगर इन झंडों को फहरा दिया जाता तो ध्वज अपमान अधिनियम का उल्लंघन हो सकता था.

नतीजतन पूरे 02 लाख झंडों को वापस गुजरात निर्माणी कंपनी को भेज दिया गया है. सतना जिला प्रशासन 02 लाख तिरंगे की कमी को पूरा करने स्थानीय स्वासहस्यता समूह के जरिये पूर्ति करा रहा है. हर घर तिरंगा अभियान के तहत सतना जिले में तरंगे की कमी महसूस नहीं होने दी जाएगी. राष्ट्रीय ध्वज तिरंगा जैसे मसले पर देश प्रदेश की सरकारें और निर्माण कंपनियां कितनी संवेदनशील है आसानी से देखा जा सकता है.

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