कुलदीप बिश्नोई के भाजपा ज्वाइन करने पर,क्या परिवारवाद खत्म हो जाता है ?

कैप्टन ने कहा कि कुलदीप बिश्नोई अपने पिता के साथ कांग्रेस छोड़ गेर थे और हजकां का गठन करके भाजपा के साथ अलांयस किया था। कुछ समय बाद भाजपा के साथ अलांयस तोड़कर कांग्रेस जाइॅन कर ली। वर्ष 2019 में बिना कांग्रेसी विचारधारा के उसे कांग्रेस वर्किंग कमेटी का सदस्य बना दिया, जो राज्यसभा चुनाव में क्रॉस वोट कर गया क्यों?

कैप्टन ने ट्वीट किया कि भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस एक धर्मनिरपेक्ष पार्टी के नेता हैं, जो फासीवादी मानसिकता के साथ भाजपा से कांग्रेस पार्टी में शामिल हो रहे हैं और क्षेत्रीय पार्टी से जातिवादी विचारधारा वाले नेता शामिल हो रहे हैं। अगर कांग्रेस में शामिल हों तो बिना किसी पद और टिकट के 5 साल तक शांत रहें और कांग्रेस को मजबूत करें।

बताते चले- भाजपा मुख्यालय में उन्होंने केंद्रीय मंत्री गजेन्द्र सिंह शेखावत, हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर, पार्टी महासचिव अरुण सिंह, राज्यसभा सदस्य अनिल बलूनी और प्रदेश अध्यक्ष ओमप्रकाश धनखड़ की मौजूदगी में भाजपा की सदस्यता ग्रहण की।

इस अवसर पर खट्टर ने बिश्नोई दंपती का भाजपा में स्वागत करते हुए कहा कि कुलदीप बिश्नोई से वह लगातार संपर्क बनाए हुए थे और उन्होंने राज्यसभा चुनाव में भाजपा का सहयोग किया। उन्होंने दावा किया कि बिश्नोई बिना किसी शर्त के भाजपा में शामिल हुए हैं।गौरतलब है कि बिश्नोई कांग्रेस पार्टी से पहले से ही नाराज चल रहे थे। इस साल की शुरुआत में उन्हें कांग्रेस की हरियाणा इकाई के प्रमुख के पद पर नियुक्त न किए जाने के बाद उन्होंने बगावती तेवर अपना लिए थे।

इसके बाद जून में हुए राज्यसभा चुनाव में ‘क्रॉस वोटिंग’ करने के कारण कांग्रेस ने बिश्नोई को पार्टी के सभी पदों से हटा दिया था। हरियाणा के हिसार जिले की आदमपुर सीट से विधायक बिश्नोई (53) ने बुधवार को विधानसभा की सदस्यता से इस्तीफा दे दिया।हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री दिवंगत भजनलाल के छोटे बेटे कुलदीप बिश्नोई दूसरी बार कांग्रेस से नाता तोड़ रहे हैं। पार्टी से अलग होने के बाद करीब छह साल पहले ही वह दोबारा कांग्रेस से जुड़े थे

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