चंद्रिका देवी मंदिर का रहस्य और विराजमान तीनों देवियों की महिमा

RJ NEWS

  ए के दुबे
लखनऊ। राजधानी के बख्शी तालाब क्षेत्र के अंतर्गत स्थित मां चंद्रिका देवी मंदिर की महिमा को शायद सनातन धर्म में आस्था रखने वालों में से बहुत से लोगों को ये रहस्य की बात पता ही नहीं होगी जो कि हिन्दू धर्म में आस्था रखने वाले हर व्यक्ति को जानना ही चाहिए। वैसे तो माता का सिर्फ एक ही स्वरूप संसार के सभी दुखों को हरने वाला होता है। तो जरा सोचिए की अगर आपको माता रूपी तीनों महादेवियों के स्वरूप का एक साथ एक ही जगह दर्शन हो जाये तो यह कितना सुखमय होगा। जी हाँ, पूरे धरती पर मात्र एक ही जगह है

जहां तीनों देवियाँ एक साथ अनन्त काल के लिए वास करती हैं इसके अलावा धरती पर कोई ऐसी जगह नहीं है। जिसका धर्म ग्रन्थों में जिक्र हो की जहां तीनों देवियाँ एक साथ एक ही जगह वास करती हों और यह बात स्वयं भगवान श्री कृष्ण ने भी कहा है। अन्य सभी शक्ति पीठों पर एक ही देवी का वास हैं  जहां महर्षि नारद ने एक बहुत बड़े पाप से ग्रसित होकर अपने आराध्य प्रभु के कहने पर जिस तरह सगर के 60 हजार पुत्रों को तारने के लिए उनके वंशज भागीरथी माता गंगे को धरती पर लाये ठीक उसी प्रकार महर्षि नारद ने 16 हजार साल एक ही पैर पर खड़े होकर कठोर तपस्या करके तीनों महादेवियों को एक साथ उस पवित्र जगह पर धरती पर आकर अनन्त काल तक एक साथ निवास करने के लिए विवश कर दिया था

और अपने ऊपर लगे पाप से मुक्ति पाये थे। उस जगह का वर्णन स्वयं भगवान श्री कृष्ण करते हुये महात्मा बर्बरीक से कहते हैं की धरती पर मात्र एक ही जगह है जहां साक्षात तीनों देवियाँ एक साथ पिण्ड रूप में वास करती हैं तीनों देवियों के आशीर्वाद स्वरूप बर्बरीक द्वारा बनाए गए हवन कुंड जो आज भी है उसकी राख “गंगा जल” की तरह पवित्र है और चमत्कारों से परिपूर्ण माना जाता है जिसका इस्तेमाल हर पवित्र कार्यों में कर सकते हैं। यहाँ एक तालाब भी है जिससे जल लेकर स्वयं बर्बरीक भी इसी जल से त्रि देवियों के पिण्ड रूपों को नित्य स्नान कराते थे।

बर्बरीक भीम द्वंद-युद्ध में यहीं भगवान शकर प्रकट होकर दोनों (दादा और पोते) का आपस में परिचयकर्ता करवाए थे। इस तालाब की भी एक बड़ी रहस्यमय कहानी है। इस तालाब के पानी का कहीं से कोई निकासी नहीं हैं अर्थात ये चारो तरह से बंद है और आश्चर्य की बात ये हैं की इस तालाब का पानी ना तो कभी गंदा होता है और ना तो कभी इसमें से आपको बदबू आती महसूस होगी और ना ही कभी इसका जल सूखता है। शास्त्रों के अनुसार इस तालाब के भीतर एक कुंड है जिसकी गहराई आज तक कोई नहीं नाप पाया। नगर निगम ने भी बहुत कोशिश किया था मगर लाख कोशिशों के बाद उस कुंड की गहराई का पता नहीं लगा पाया।

उसी कुंड में भीम को बर्बरीक द्वंद-युद्ध में हराने के पश्चात फेकने वाले थे की तब तक भगवान शंकर स्वयं प्रकट हुये थे। ऐसी मान्यता है की उस कुंड में जानें के बाद कोई चीज दुबारा वापस नहीं आई। जी हाँ, आपने सही सोचा वो महाशक्ति पीठ लखनऊ जनपद के तहसील “बक्शी के तालाब (बीकेटी)” क्षेत्र में आने वाले कठवारा गाँव के जंगलों में स्थित है। चूंकि अब यहाँ कोई जंगल बचा नहीं अतः आप आज के समय बड़े आसानी से वहाँ जा सकते हैं उस पवित्र शक्ति पीठ का नाम है “माता चन्द्रिका देवी” अगर आप दुर्गम पहाड़ों पर माता रानी के दर्शन करने जाने में सक्षम नहीं है तो इस सुगम पवित्र स्थान पर आप आसानी से पहुँचकर तीनों महादेवियों के साक्षात कर सकते है

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