राष्ट्रीय जजमेंट/प्रयागराज। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एक महत्वपूर्ण निर्णय में कहा कि बच्चे का सर्वांगीण विकास उसे जन्म देने वाले माता-पिता के पास ही संभव है। भले ही पालन-पोषण वाले अभिवावक उसकी कितनी ही अच्छी देखभाल करते हों। बच्चे का अधिकार है कि उसे सगे मां-बाप की पहचान से अवगत कराया जाए।
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने अलीगढ़ में अपने मामा-मामी के पास रह रही पांच साल की बच्ची को उसे जन्म देने वाले मां-बाप को सुपुर्द करने का निर्देश दिया है। कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि बच्ची का पालन करने वाले मामा-मामी साल में एक या दो बार ही बच्ची से मिल सकते हैं।
ये आदेश न्यायमूर्ति सुनीता अग्रवाल एवं न्यायमूर्ति सुधारानी ठाकुर की खंडपीठ ने नसरीन बेगम और प्रो. मोहम्मद सज्जाद की अपीलों पर सुनवाई करते हुए दिया। मामले के तथ्यों के मुताबिक प्रो. सज्जाद और उनकी पत्नी निसंतान हैं।
जिसके बाद प्रो. सज्जाद ने अपने एक रिश्तेदार से उनका बच्चा पालने के लिए लिया था, लेकिन रिश्तेदार ने तीन महीने बाद ही अपना बच्चा वापस ले गए। इससे सज्जाद और उनकी पत्नी को मानसिक आघात पहुंचा।
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