सामूहिक हत्याकांड में मौत की सजा पाया आरोपी गिरफ्तार, बौद्ध भिक्षु बनकर काट रहा था जिंदगी

        कायमगंज / फर्रुखाबाद
(राष्ट्रीय जजमेंट न्यूज संवाददाता)

उत्तर प्रदेश की पुलिस तथा उसका खुफिया तंत्र पूरे 28 साल तक जिस हत्यारोपी, सजा-ए-मौत का आदेश न्यायालय द्वारा होने पर भी फरार रहा। उसका पता नहीं लगा सके हत्यारोपी पुलिस के हत्थे बौद्ध भिक्षु के रूप में चढ़ा है। आपको बता दें कि कोतवाली कायमगंज लखनपुर गांव में वर्ष 1991 में सामूहिक हत्याकांड को अंजाम देते हुए 6 को मौत के घाट उतार दिया गया था। मामला इसी गांव के एक व्यक्ति की बेटी को प्रेम प्रसंग में फंसा कर भगा ले जाने पर हुआ था।

इसी रंजिश के चलते वर्ष 1991 में सामूहिक हत्या कांड में लखनपुर के निवासी बाबूराम उसके पड़ोसी गुलजारीलाल, गुलजारी लाल की पत्नी रामवती तथा बेटे धर्मेंद्र, राकेश ,उमेश को मौत के घाट उतार दिया था। इस हत्याकांड में श्री कृष्ण ,रामसेवक तथा किशोरी लाल को आरोपी बनाते हुए मुकदमा दर्ज कराया गया था कानूनी प्रक्रिया के दांवपेच के बीच इन तीनों को जमानत मिल गई और यह कारागार से बाहर आ गए थे। सामूहिक हत्याकांड में ईसी एक्ट कोर्ट ने दोनों पक्षों के अधिवक्ताओं की तर्क सुनने के बाद तीनों आरोपियों को सजा-ए-मौत की सजा सुना दी थी।

न्यायालय द्वारा मृत्युदंड आदेश पारित होने के बाद तीन आरोपियों में से किशोरी लाल और रामसेवक भूमिगत हो गए थे । वही आरोपी श्री कृष्ण जेल की सलाखों के पीछे चला गया था ।वह संगम विहार में बौद्ध दीक्षा लेकर अपना नाम परिवर्तित कराया और वही से बौद्ध भिक्षु के भेष में आकर जनपद बदायूं के कस्बा म्याऊं में बने बौद्ध मठ में रहता रहा ।

उसने बताया कि वह म्याऊं के अलावा दिल्ली आदि शहरों में भी रहा है iउसके अनुसार उसने यहीं से अपना आधार कार्ड तथा नागरिकता संबंधी अन्य कागजात भी बनवा लिए । आखिर अपराध सामने आ ही गया ,और रामसेवक पुलिस की गिरफ्त में पहुंच गए। उसके दूसरे फरार भाई किशोरी लाल के बारे में भी पकड़े गए रामसेवक से पूछताछ कर पुलिस पता लगाने का प्रयास कर रही है।

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