मेरठ के इस गांव में दशहरे के दिन मनता है मातम, घरों में नहीं जलता चूल्हा

राष्ट्रीय जजमेंट न्यूज़ 

सम्वाददाता  जिला संवाददाता पप्पी चौधरी मेरठ

राष्ट्रीय जजमेंट न्यूज़ संवाददाता मेरठ के गगोल गांव में दशहरे के दिन मनता है मातम, लोगों के घरों में नहीं जलते चूल्हे मेरठ हिंदुस्तान में त्योहारों का अपना महत्व है. लोग, बेसब्री से त्योहारों का इंतजार करते हैं. त्योहार वाले दिन खुशियां मनाते हैं, मिठाई खिलाते हैं, नए-नए कपड़े पहनते हैं और मान्यतानुसार प्रचलित प्रथाओं का पालन करते हैं. उन्हीं में से एक त्योहार दशहरा आज है. लोग त्योहार की खुशियां मनाने में लगे हैं.

लेकिन मेरठ का एक ऐसा गांव है जहां दशहरे के नाम से ही गांव में मातम छा जाता है.यहां दशहरा त्योहार आते ही गांव में मायूसी छा जाती है. इस दिन घरों में चूल्हे नहीं जलते. असत्य पर सत्य की जीत का पर्व दशहरा देश-विदेश में धूमधाम से मनाया जाता है. लेकिन मेरठ के गगोल गांव में दशहरा के दिन घरों में चूल्हे नहीं जलते. इस गांव में सैकड़ों वर्षों से दशहरा नहीं मनाया गया. इसके पीछे का कारण भी सैकड़ों वर्ष पूर्व इतिहास में ही है.
गांव की है 18 हजार आबादी

मेरठ से तीस किलोमीटर दूर गगोल गांव की ऐसी कहानी है कि यहां दशहरा त्योहार का नाम सुनते ही सबकी हवाईयां उड़ जाती हैं. लोग दुखी हो जाते हैं. न्यूज 18 ने इस गांव का दौरा किया और इस राज को जानना चाहा कि आखिर तकरीबन अट्ठारह हजार की आबादी वाला यह गांव दशहरा क्यों नहीं मनाता. लोगों ने जब इस राज से पर्दा उठाया तो हैरान करने वाली सच्चाई सामने आई.

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