भारत के उच्च न्यायाधीश की नियुक्ति के तरीके पर उठाई गई आपत्ति, सार्वजनिक

RJ NEWS

  संवाददाता

एक अभूतपूर्व घटनाक्रम में उच्चतम न्यायालय कॉलेजियम ने पैनल के उन दो जजों के नाम सार्वजनिक कर दिए हैं, जिन्होंने न्यायालय में जजों की नियुक्ति पर अपने सदस्यों के विचारों को जानने के लिए अपनाए गए सर्कुलेशन (पदोन्नति के लिए विचाराधीन न्यायाधीशों के फैसले कॉलेजियम के सदस्यों को वितरित करके उनकी राय जानने) के तरीके पर आपत्ति जताई थी।

सोमवार को साझा बयान में खुलासा किया गया कि जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ और एस अब्दुल नजीर ने देश के चीफ जस्टिस यूयू ललित द्वारा पत्र के जरिए सर्वोच्च न्यायालय के जजों के रूप में पदोन्नति देने के लिए अपनाई गई प्रक्रिया पर आपत्ति व्यक्त की थी।

चार साल में यह पहला मौका है, जब कॉलेजियम ने अपने विचार-विमर्श को सार्वजनिक किया है। चूंकि कॉलेजियम एक आम सहमति पर नहीं पहुंच सका और इस बीच 7 अक्तूबर, 2022 को केंद्रीय कानून मंत्री से पत्र प्राप्त हुआ, जिसमें चीफ जस्टिस से उनके उत्तराधिकारी को नामित करने का आग्रह किया गया था।

इसलिए 30 सितंबर को कॉलेजियम की बैठक में शुरू की जाने वाली योजना को खारिज कर दिया गया। प्रस्ताव में कहा गया है कि ऐसी परिस्थितियों में आगे कोई कदम उठाने की आवश्यकता नहीं है। 30 सितंबर, 2022 को बुलाई गई बैठक में अधूरे काम को बिना किसी विचार-विमर्श के बंद किया जाता है और बैठक खारिज की जाती है

सितंबर को कॉलेजियम की बैठक के साथ शुरू हुई प्रक्रिया जारी थी। इसी बीच, केंद्रीय कानून मंत्री की तरफ से सात अक्टूबर 2022 को एक पत्र प्राप्त हुआ, जिसमें सीजेआई से अपने उत्तराधिकारी को नामित करने का अनुरोध किया गया था।

पांच सदस्यीय कॉलेजियम ने एक बयान में कहा, ‘‘ऐसी स्थिति में आगे कोई कदम उठाने की जरूरत नहीं है और 30 सितंबर, 2022 को बुलाई गई बैठक में अधूरे काम को बिना किसी विचार-विमर्श के बंद कर दिया जाता है। 30 सितंबर, 2022 की बैठक बेनतीजा रही।’’सीजेआई ललित आठ नवंबर को सेवानिवृत्त हो रहे हैं।

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