दिल्ली सरकार ने ‘विश्व बेघर दिवस’ पर दिल्ली के प्रथम स्लम फेस्टिवल “हुनर की पुकार, दिल्ली आश्रय से बेघरों के जिंदगी में सुधार” कार्यक्रम की शुरुआत सराय काले खां स्थित रैन बसेरा परिसर से की गई। बेघरों के मुद्दों को मुख्यधारा में लाने और आश्रयों में सोने वाले बेघर निवासियों की चुनौतियों एवं जरूरतों के बारे में जागरूकता फैलाने के उद्देश्य से इस कार्यक्रम का आयोजन किया गया। यह आयोजन का उद्देश्य दिल्ली में बेघरों की सफलता की कहानियों को लोगों तक पहुंचाना है, जो बेघर होने के बावजूद जीवन की चुनौतियों पर काबू कर सफलता के शिखर पर पहुंचे हैं। अलग अलग समुदायों से युवाओं, सामाजिक संस्था और 500 से अधिक लोगों की सहभागिता से कार्यक्रम सफ़लता रहा।
दिल्ली के उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने मुख्य अतिथि के रूप में दिल्ली के पहले स्लम फ़ेस्टिवल पर अपनी उपस्तिथि दी। उन्होंने बेघर अचीवर्स को सम्मानित किया और समाज में उनके योगदान को बताया। उन्होंने बेघरों की उपलब्धियों पर विशेष प्रकाश डालते हुए कहा, “ कोई नहीं सकता की ये बच्चे दिल्ली के रैन बसेरे से आते हैं, तो कोई अंदाज़ा नहीं लगा सकता। इतनी शानदार पहल के लिए मैं डीयूएसआईबी को बधाई देता हूँ, दिल्ली सरकार ने पहली बार दिल्ली स्लम फ़ेस्टिवल का आयोजन किया है। इसको साल दर साल जारी रखेंगे, डूसिब इसका प्लान बनाए, इस तरह टैलेंट सामने लाने का बड़ा प्लान बनाएँ। दिल्ली में 40% लोग झुग्गी झोंपड़ी में रहते हैं। मुझे गर्व है दिल्ली सरकार पर, जिसने फ़्री दवाई और इलाज वाले मोहल्ला क्लिनिक मॉडल से लेकर, स्कूलों में सक्रिय शिक्षा मॉडल तक दिल्ली की झुग्गियों में रहने वाले लोगों के जीवन को रौशन किया है।”
डूसिब के सीईओ के महेश ने शेल्टर होम वाले दिल्ली मॉडल पर चर्चा की और बताया कि अगर दुनिया के सभी शहर देखे जाएं तो दिल्ली में सबसे ज़्यादा बेघर आश्रय गृह हैं। दिल्ली इस तरह कई देशों और प्रदेशों के लिए मिसाल है और बेघरों के लिए विकास नीतियों पर पूरी दुनिया की नज़रें दिल्ली की ओर हैं। उन्होंने आगे कहा कि हालाँकि दिल्ली में बेघरों के लिए अच्छी सुविधाएँ हैं फिर भी बेघरों की ज़रूरतों को मद्दे नज़र रखते हुए और भी कदम उठाए जा रहे हैं जिनसे उनकी ज़िंदगी को और बेहतर किया जा सके। विश्व बेघर दिवस’ पर दिल्ली में ये समारोह उसी दिशा में एक कदम है।
कार्यक्रम के दौरान वृक्षारोपण और फ़िल्म स्क्रीनिंग का आयोजन भी किया गया। नृत्य, मिमिक्री, कविता पाठ, बेघर बच्चों द्वारा स्किट व नाटक और कटपुतली कलाकारों द्वारा पपट्री कर सबको मनोरंजित किया। पेंटिंग कॉम्पटिशन में बेघर बच्चों की भागीदारी से निकली कलाकृतियों की प्रदर्शनी लगी, बेघर अचीवर्स की कहानियाँ ‘हॉल ओफ़ फ़ेम’ पर सुसज्जित रहीं, कार्यक्रम का समापन मालवा कलाकार, कालूराम बमनिया और उनके ट्रूप द्वारा ‘कबीर गान’ से हुआ।
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