यूपी- नए प्रदेश अध्यक्ष कांग्रेस की डूबती नैया को कितना पार लगा पाएंगे?

RJ NEWS

संवाददाता

उत्तर प्रदेश लखनऊ – 2022 के विधानसभा चुनाव से पहले प्रियंका ने ‘लड़की हूं, लड़ सकती हूं’ के नारे के साथ एक और प्रयोग करते हुए 40 प्रतिशत टिकट महिलाओं को देने की घोषणा की। कांग्रेसी प्रियंका के निर्णय को मास्टर स्ट्रोक बताते रहे। इतने प्रयोगों के साथ चुनावी दंगल में उतरी कांग्रेस को बड़े चमत्कार की उम्मीद थी, लेकिन कांग्रेस की डूबती नैया पार लगाने के प्रियंका के प्रयोग असफल ही रहे।

राज्य की 403 सीटों वाली विधानसभा में पहले सात विधायकों वाली पार्टी, केवल दो सीट और दो प्रतिशत वोट पर सिमट गई। केवल एक कांग्रेसी महिला विधानसभा तक पहुंची। हार का ठीकरा अजय कुमार लल्लू के सिर फोड़ा गया। अपनी सीट तक न बचा सके लल्लू को त्यागपत्र देना पड़ा। और नए अध्यक्ष की ताजपोशी हुई अब लगभग डेढ़ वर्ष बाद लोकसभा चुनाव होना है। उत्तर प्रदेश की 80 लोकसभा सीटों के महत्व को देखते हुए भाजपा सहित सपा, बसपा और कांग्रेस पार्टी नए सिरे से तैयारी में जुटी हैं।

नई सोशल इंजीनियरिंग में जातीय-क्षेत्रीय समीकरण साधने को भाजपा ने पिछड़े वर्ग की जाट बिरादरी से भूपेंद्र सिंह चौधरी को प्रदेश अध्यक्ष की कमान सौंपी, तो सपा ने पिछड़ी जाति की कुर्मी बिरादरी के नरेश उत्तम पटेल को प्रदेश अध्यक्ष बनाए रखने की घोषणा की। अति पिछड़े वर्ग से ताल्लुक रखने वाले मऊ के भीम राजभर पहले से बसपा के प्रदेश अध्यक्ष बने हुए हैं।

ऐसे में पहले असफल हो चुके तमाम प्रयोगों के बाद कांग्रेस ने सियासी वनवास खत्म करने के लिए तीन दशक बाद दलित पर दांव चलते हुए बसपा से सांसद रहे बृजलाल खाबरी को प्रदेश अध्यक्ष बनाया है। इसके साथ ही जातीय-क्षेत्रीय संतुलन साधने के प्रयास में पहली बार ब्राह्मण, पिछड़ा वर्ग, मुस्लिम और भूमिहार बिरादरी के छह प्रांतीय अध्यक्ष बनाने का प्रयोग कर नया दांव चला है ताकि इन बिरादरी के वोट बैंक में सेंध लगाई जा सके। गौर करने की बात यह है कि नई टीम में केलव योगेश दीक्षित खांटी कांग्रेसी हैं।

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