हिजाब मामले में फैसला सुनाने वाले जस्टिस हेमंत गुप्ता ने सुप्रीम कोर्ट को अलविदा कह दिया है। इस मौके पर उन्होंने कहा कि जज का काम लोगों को खुश करने का नहीं, बल्कि कानून के आधार पर मामलों का फैसला करने होता है। कर्नाटक हिजाब प्रतिबंध मामले में शीर्ष न्यायालय के दो जजों की बेंच की राय अलग-अलग थी।
जस्टिस गुप्ता ने कर्नाटक हाईकोर्ट के आदेश के खिलाफ दायर याचिकाओं को खारिज कर दिया था। सुनवाई के दौरान उच्च न्यायालय ने शिक्षण संस्थानों में हिजाब पर प्रतिबंध हटान से इनकार कर दिया था। बहरहाल, इस मामले पर अभी शीर्ष न्यायालय का अंतिम फैसला आना बाकी है। जबकि, जस्टिस सुधांशु धूलिया ने अपीलों को स्वीकार किया था।
उन्होंने कहा कि न्यायाधीश के रूप में अपने कर्तव्यों का निर्वहन करते हुए लोगों को खुश करने के इरादे से एक जज अपने कर्तव्यों का निर्वहन नहीं कर सकता। इस दौरान जस्टिस गुप्ता ने कहा, “मैं अदालत में कठोर रहा लेकिन आदेश मेरी समझ के अनुसार पारित किए गए। सबसे महत्वपूर्ण मेरी आंतरिक संतुष्टि है कि मैंने संस्थान को सर्वश्रेष्ठ दिया है। मुझे कोई पछतावा नहीं है
उन्होंने कहा, “मैंने अपने कर्तव्यों का निर्वहन अत्यंत विनम्रता और ईमानदारी के साथ करने की पूरी कोशिश की है। हालांकि कभी-कभी मैं अपना आपा खो देता हूं। कोई भी पूर्ण नहीं है। मैं पूर्णता के लिए कोई दावा नहीं कर सकता। जब मैंने गलती की तो यह अनजाने में हुआ है।
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