संविधान यदि लोगों के अधिकारों की गारंटी देता है, फिर संविधान की अनदेखी क्यों की जा रही है?
दंगों में पुलिस की भूमिका पर सवाल उठाना सांप्रदायिक भेदभाव फैलाना है.
और आदिवासी, दलित और अल्पसंख्यकों के हितों की बात करना लोगों को भड़काना है.
दिल्ली और कनार्टक पुलिस का तो यही नजरिया है.
इन सवालों को पर भी एफआईआर दर्ज हो सकता है.…