अत्याचार को सहन करना, कुविचार का श्रवण करना, रावण के शासन को स्विकार करने के बराबर
अत्याचार को सहन करना, कुविचार का श्रवण करना, अपने अधिकार का हनन करना, रावण के शासन को स्वविकार करने के बराबर है।
हरहाल में, हर सांस तक, आखिरी सांस तक अपने लिए लड़ूँगा, बुराई का पैर नहीं पकडूँगा, हिंसा में नहीं जकड़ूंगा, मेरा यह प्रण है प्रण…