बेसहारा गायों ने बढ़ाई योगी की चिंता, अधिकारियों को दिए धर-पकड़ के निर्देश,10जनवरी की डेडलाइन

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उत्तर प्रदेश में आवारा पशुओं द्वारा किसानों की फसलें तबाह करने का मामला तूल पकड़ता जा रहा है। किसानों की नाराजगी और विपक्ष के हमलावर तेवर को देखते हुए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की 2019 की चिंता बढ़ गई है।
ऐसे में योगी सरकार आनन-फानन में गोशालाओं के निर्माण की मंजूरी दे रही है। हाल ही में 0.5 फीसदी गोकल्याण सेस भी लागू किया गया है। बुधवार को ही मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने सूबे के सभी जिलाधिकारियों के साथ वीडियोकॉन्फ्रेंसिंग के जरिए बात की।
इस दौरान उन्होंने अधिकारियों को 10 जनवरी के भीतर आवारा घूम रहीं गायों और बैलों के सुरक्षित इंतजाम का टारगेट दे दिया। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक अधिकारियों को यह भी आदेश दिए गए हैं कि जब पशुओं को लेने उनके मालिक आएं तो उनसे फाइन भी वसूला जाए।
अधिकारियों को सीएम ने आदेश तो दे दिए हैं, लेकिन मुसीबत गोशाला की है। प्रदेश में तमाम स्वयंसेवी संस्थाओं समेत कुल 514 गोशालाएं हैं। इनमें पहले से ही भारी संख्या में बेसहारा गाय और बैल भरे पड़े हैं। इनकी अच्छे से देखभाल का भी संकट यहां खड़ा है।
पिछले ही प्रदेश के एक गोशाला से 78 गायों के मरने की खबर सुर्खियां बनी थीं। हालांकि, मुख्यमंत्री ने प्रदेश में गोशाला निर्माण को लेकर काम तेज करने की बात कही है। उन्होंने सभी जिलों में अधिकारियों को दो माह के भीतर बड़े स्तर की गोशाला बनाने की बात कही है।
मुख्यमंत्री ने 100 बड़े गोशाला बनाने का टारगेट दिया है। हर एक गोशाला की क्षमता 1000 बेसहारा गायों को शरण देने की होगी।  बीते 18 महीनों में प्रदेश सरकार गोशाला निर्माण के लिए 50 करोड़ के लगभग रुपये जारी कर चुकी है।
तमाम मीडिया रिपोर्ट्स में अधिकारी नए टारगेट को एक बड़ी चुनौती बता रहे हैं। क्योंकि, अभी तक प्रस्तावित 104 गोशालाओं में से सिर्फ एक का काम पूरा हो पाया है। यह गोशाला बुंदेलखंड के ललितपुर में स्थित है। फिलहाल बुंदेलखंड के 7 जिलों में 36 और बाकी 68 जिलों में एक-एक गोशाला का निर्माण प्रस्तावित है।
वर्तमान में प्रदेश में उठे इस चिंता को लेकर विपक्ष ने योगी सरकार की नीतियों को कटघरे में खड़ा किया है। इकोनॉमिक्स टाइम्स के मुताबिक समाजावादी पार्टी ने योगी सरकार को ‘कन्फ्यूज्ड सरकार’ करार दिया है।
विपक्ष का कहना है कि बेसहारा गायों का मसला हाथ से निकल चुका है। अब किसान और गांव के लोग अपना धीरज खो चुके हैं। गौरतलब है कि बेसहारा गाय और बैल किसानों की फसलें बर्बाद कर रहे हैं। ऐसे में किसान काफी परेशान हैं।
कई जगहों पर किसानों ने गायों और बैलों को सरकारी स्कूलों में बंद करना शुरू कर दिया। जिससे, भूख-प्यास से काफी संख्या में पशुओं के मौत की खबरें भी आईं।  वहीं, गोशालाओं में भी भारी संख्या में गाय-बैलों के अच्छे से रख-रखाव नहीं होने की वजह से मौतें हो गईं।

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