माेदी मंत्रिमंडल ने सामान्य श्रेणी में आर्थिक रूप से पिछड़े वर्ग के लिए नौकरियों और शैक्षणिक संस्थानों में 10 प्रतिशत आरक्षण को मंजूरी दे दी है। यह फैसला सोमवार को लिया है। लोकसभा चुनाव के ठीक पहले मोदी सरकार द्वारा लिए गए इस बड़े फैसले को लेकर राजनीतिक बयानबाजी तेज हो गई है।
किसी ने सरकार के इस कदम का स्वागत किया है तो किसी ने कटाक्ष किया है। पूर्व केंद्रीय मंत्री यशवंत सिन्हा ने इस फैसले पर तंज करते हुए इसे जुमला बताया। यशवंत सिन्हा ने कहा, “आर्थिक रूप से कमजोर सवर्णों को 10 प्रतिशत आरक्षण देने की बात जुमला से अधिक कुछ नहीं है। यह कानूनी पेचीदगियों से भरा हुआ है और इसे अमल में लाने के लिए सदन में बिल पास करने का समय नहीं है। सरकार पूरी तरह से बेनकाब हो चुकी है।”
वहीं, दूसरी ओर केन्द्रीय वित्त राज्य मंत्री शिवप्रताप शुक्ल ने कहा कि यह देश के जनसामान्य के हित में किया गया फैसला है। शुक्ला ने मंत्रिमंडल के फैसले पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुये संसद परिसर में संवाददाताओं को बताया ‘‘यह प्रसन्नता का विषय है।
मैं स्वयं प्रधानमंत्री द्वारा किये गये इस फैसले का स्वागत करता हूं।’’ उन्होंने कहा कि देश के सामान्य वर्ग के लोग भी इस फैसले का स्वागत करते हैं। शुक्ल ने कहा ‘‘मुझे लगता है कि निश्चित रूप से यह फैसला बहुत पहले होना चाहिये था। लोग केवल कहा करते थे लेकिन नरेंद्र मोदी जी ने इसे करके दिखाया है।’’
मंत्रिमंडल के फैसले पर संसद की मंजूरी के लिये इसे मंगलवार को दोनों सदनों में पेश किये जाने की संभावना के सवाल पर सपा के राज्यसभा सदस्य रामगोपाल यादव ने कहा ‘‘इस बारे में सदन पटल पर प्रस्ताव पेश होने पर इसका अध्ययन करने के बाद ही मैं कुछ कहूंगा।
The proposal to give 10% reservation to economically weaker upper castes is nothing more than a jumla. It is bristling with legal complications and there is no time for getting it passed thru both Houses of Parliament. Govt stands completely exposed.
— Yashwant Sinha (@YashwantSinha) January 7, 2019