नई दिल्ली। सीबीआई डायरेक्टर आलोक वर्मा को छुट्टी पर भेजने के सरकार के फैसले के खिलाफ दायर याचिका पर सुप्रीम कोर्ट मंगलवार को फैसला सुना सकता है।
सीबीआई चीफ आलोक वर्मा और नंबर-2 अफसर स्पेशल डायरेक्टर राकेश अस्थाना ने एकदूसरे पर भ्रष्टाचार के आरोप लगाए थे। इसके बाद सरकार ने दोनों अफसरों को छुट्टी पर भेज दिया था।
सरकार के इस कदम के खिलाफ वर्मा और एनजीओ कॉमन कॉज ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी। चीफ जस्टिस रंजन गोगोई की अगुआई वाली बेंच ने 6 दिसंबर को फैसला सुरक्षित रख लिया था।
अस्थाना मीट कारोबारी मोइन कुरैशी से जुड़े मामले की जांच कर रहे थे। जांच के दौरान हैदराबाद का सतीश बाबू सना भी घेरे में आया। एजेंसी 50 लाख रुपए के ट्रांजैक्शन के मामले में उसके खिलाफ जांच कर रही थी।
सना ने सीबीआई चीफ को भेजी शिकायत में कहा था कि अस्थाना ने इस मामले में उसे क्लीन चिट देने के लिए 5 करोड़ रुपए मांगे थे। हालांकि, 24 अगस्त को अस्थाना ने सीवीसी को पत्र लिखकर डायरेक्टर आलोक वर्मा पर सना से दो करोड़ रुपए लेने का आरोप लगाया था।
सरकार ने जांच जारी रहने तक सीबीआई चीफ वर्मा और अस्थाना को छुट्टी पर भेज दिया था। सरकार ने यह आदेश 23 अक्टूबर रात 2 बजे जारी किया था।
दो शीर्ष अफसरों के रिश्वतखोरी विवाद में फंसने के बाद केंद्र सरकार ने ज्वाइंट डायरेक्टर नागेश्वर राव को जांच एजेंसी का अंतरिम प्रमुख नियुक्त कर दिया था।
सरकार ने दावा किया था कि केंद्रीय सतर्कता आयोग की सिफारिश पर निष्पक्ष जांच के लिए दोनों अफसरों को छुट्टी पर भेजा गया।
-
2016 में सीबीआई में नंबर दो अफसर रहे आरके दत्ता का तबादला गृह मंत्रालय में कर अस्थाना को लाया गया था।
-
दत्ता भावी निदेशक माने जा रहे थे। लेकिन गुजरात कैडर के आईपीएस अफसर राकेश अस्थाना सीबीआई के अंतरिम चीफ बना दिए गए।
-
अस्थाना की नियुक्ति को वकील प्रशांत भूषण ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दे दी। इसके बाद फरवरी 2017 में आलोक वर्मा को सीबीआई चीफ बनाया गया।
-
सीबीआई चीफ बनने के बाद आलोक वर्मा ने अस्थाना को स्पेशल डायरेक्टर बनाने का विरोध कर दिया। उन्होंने कहा था कि अस्थाना पर कई आरोप हैं, वे सीबीआई में रहने लायक नहीं हैं।
-
वर्मा 1984 की आईपीएस बैच के अफसर हैं। अस्थाना 1979 की बैच के आईपीएस अफसर हैं।