चीन लगा 6G की तैयारी में और भारत मे 5G आने में लगेंगे अभी दो या तीन साल से ज्यादा

0
चीन ने इंटरनेट डेटा ट्रांसफर की 5जी तकनीक से आगे निकलते हुए 6जी की भी तैयारी शुरू कर दी है, लेकिन भारत को अभी 4जी से ही काम चलाना होगा। देश में टेलीकॉम इंडस्ट्री खराब दौर में है। लिहाजा 2020-21 से पहले 5जी शुरू होने की संभावना नहीं है।
चीन की आईटी मिनिस्ट्री के साथ काम कर रहे 5जी वर्किंग ग्रुप के मुताबिक, 2020 तक 6जी के ट्रायल शुरू हो जाएंगे। 2019 में चीन का पूरा ध्यान 5जी के विस्तार पर है। इसके लिए देशभर में साढ़े तीन लाख नए टॉवर लगाए गए हैं।
रिपोर्ट्स के मुताबिक, भारत में डेटा वॉर की वजह से कंपनियों का मुनाफा कम हो रहा है। भारत में स्पेक्ट्रम प्राइस भी ज्यादा है। हालांकि, सरकार 2020 तक देश में 5जी सर्विस शुरू करने की तैयारी कर रही है, लेकिन इंडस्ट्री सूत्रों की मानें तो ऐसा होना मुश्किल है।
टेलीकॉम इंडस्ट्री पर 7.80 लाख करोड़ का कर्ज
  • भारत में टेलीकॉम इंडस्ट्री पर अभी 7.80 लाख करोड़ रुपए से ज्यादा का कर्ज है, इसलिए कंपनियों की हालत ऐसी नहीं है कि वे 5जी कनेक्विटी के मकसद से बुनियादी ढांचा खड़ा करने के लिए निवेश कर सकें।
  • इसके अलावा कंपनियां 5जी स्पेक्ट्रम की महंगी कीमतें भी नहीं चुका सकतीं। इस वजह से कंपनियों ने हाल ही में टेलीकॉम डिपार्टमेंट से 5जी स्पेक्ट्रम की नीलामी 2020 से पहले नहीं करने का अनुरोध भी किया है।
  • मोबाइल ऑपरेटर एसोसिएशन का कहना है कि टेलीकॉम इंडस्ट्री नाजुक दौर से गुजर रही है, ऐसे में 5जी में बड़ा निवेश करना मुश्किल है।
बुनियादी ढांचा खड़ा करने में भी समस्या
  • 5जी कनेक्टिविटी के लिए 80% मोबाइल टॉवरों को नेक्स्ट जनरेशन ऑप्टिकल फाइबर से लैस करने की जरूरत होती है। भारत में अभी ऐसे सिर्फ 15% टॉवर ही हैं। टेलीकॉम इंडस्ट्री से जुड़े सूत्रों और एक्सपर्ट्स ने नाम जाहिर नहीं करने की शर्त पर बताया कि देश में टॉवरों और ऑप्टिकल फाइबर की कमी के चलते 4जी सर्विस भी सही तरीके से शुरू नहीं हो पाई है, ऐसे में 5जी में समय लगना तय है।
  • एक्सपर्ट्स के मुताबिक, 5जी का इस्तेमाल कई जगहों पर होना है। जैसे- स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट में और इंटरनेट ऑफ थिंग्स में। ऐसे में अगर 5जी कनेक्टिविटी इस साल या अगले साल तक आ भी जाती है तो भी भारत में इसे शुरू होने में वक्त लगेगा। भारत में 2020 तक ही 5जी स्मार्टफोन्स आने की उम्मीद है।
भारत में 5जी स्पेक्ट्रम काफी महंगा, कंपनियां नीलामी से दूर
  • भारत में 2019 के आखिर तक 5जी स्पेक्ट्रम की नीलामी होने की बात कही जा रही है। इस नीलामी में रिलायंस जियो के ही शामिल होने की संभावना है।
  • इस नीलामी में कुल 275Mhz स्पेक्ट्रम बिकने वाला है। इसकी प्रति यूनिट कीमत 492 करोड़ रुपए है। जबकि कोरिया में यही स्पेक्ट्रम 65 करोड़ रुपए प्रति यूनिट में बिका है, जो भारत के मुकाबले 7 गुना कम है। टेलीकॉम एक्सपर्ट ने बताया, एक सर्किल में 5जी के लिए 5Mhz यूनिट की जरूरत होती है और 22 सर्किल के लिए 110Mhz की जरूरत पड़ेगी।
5जी सर्विस के लिए क्या कर रही है सरकार?
  • मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, सरकार 5जी सर्विस के लिए 3300-3600 Mhz बैंड के 8,293 Mhz यूनिट की नीलामी करेगी।
  • सितंबर 2018 में सरकार ने नई टेलीकॉम पॉलिसी ‘नेशनल डिजिटल कम्युनिकेशन पॉलिसी (एनडीसीपी 2018)’ को मंजूरी दी थी। इस पॉलिसी के तहत टेलीकॉम सेक्टर में 100 अरब डॉलर का निवेश आने की उम्मीद है, जिससे इस सेक्टर में 40 लाख नई नौकरियां पैदा होने का अनुमान भी है। इसके अलावा, इसके तहत 2020 तक सभी ग्राम पंचायतों को 1Gbps और 2022 तक 10Gbps की इंटरनेट कनेक्टिविटी देने का लक्ष्य भी रखा गया है।
5जी के लिए क्या कर रही हैं टेलीकॉम कंपनियां?
  • देश में 5जी कनेक्टिविटी के लिए टेलीकॉम कंपनियों की सबसे ज्यादा जरूरत है, लेकिन भारत में स्पेक्ट्रम की कीमत ज्यादा है, इसलिए वोडाफोन-आइडिया और भारती एयरटेल के इस नीलामी में शामिल होने के आसार कम हैं। हालांकि, अगर स्पेक्ट्रम की कीमत कम की जाती है, तो सभी कंपनियां इसमें आ सकती हैं।
  • वहीं, जियो के एक अधिकारी का कहना है कि उनकी कंपनी ने जब 4जी की शुरुआत की थी, तो उसे 5जी के हिसाब से ही सेटअप किया गया था, इसलिए जियो को इसमें ज्यादा खर्चा करने की जरूरत नहीं है। जियो का ये भी कहना है कि नीलामी होने के कुछ ही महीने के अंदर 5जी सर्विस को शुरू कर दिया जाएगा।
4जी सर्विसेस के मामले में भारत 65वें स्थान पर
इंटरनेट स्पीड पर नजर रखने वाली ग्लोबल फर्म ऊकला की सालाना रिपोर्ट के मुताबिक, भारत में 4जी सर्विसेस में 15% का सुधार हुआ है, लेकिन दुनिया के मुकाबले देश बहुत पीछे है।
4जी सर्विसेस की ग्लोबल रैंक में भारत 65वें स्थान पर है। ट्राय के टेली डेन्सिटी आंकड़ों के मुताबिक, अभी भी देश में करीब 35% हिस्सा 4जी कवरेज से बाहर है। सिस्को कंपनी के मुताबिक, पूरे देश में 90% टेली डेंसिटी के लिए अभी दो साल का समय और लगेगा।

Leave A Reply

This website uses cookies to improve your experience. We'll assume you're ok with this, but you can opt-out if you wish. Accept Read More