खनन लूट में जांच हो तो हर मुख्यमंत्री जेल में होगा …..

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राजनीति साधने वाले मान रहे है और कह रहे है कि अखिलेश यादव पर सीबीआई शिकंजा सपा-बसपा गंठबंधन की देन है। यानी गठंबधन मोदी सत्ता की खिलाफ है तो मोदी सत्ता ने सीबीआई का फंदा अखिलेश यादव के गले में डाल दिया।

और राजनीति साधने वाले ये भी कह रहे है कि आखिर खनन की लूट में सीएम कैसे शामिल हो सकता है । जो अखिलेश पर सीबीआई जांच के खिलाफ है वह साफ कह रहे है कि दस्तावेजो पर तो नौकरशाहो के हस्तख्त होते है।

लूट खनन माफिया करते है तो सीएम बीच में कहां से आ गये। तो सीबीआई जांच के हक में खडे राजनीति साधने वाले ये कहने से नहीं चूक रहे है कि सीएम ही तो राज्य का मुखिया होता है तो खनन लूट उसकी जानकारी के बगैर कैसे हो सकती है।

चाहे अनचाहे सीबीआई जांच के हक में खडे बीजेपी के नेता-मंत्री की बातो को सही मानना चाहिये। और विपक्ष को तो इसे ठहरा कर बीजेपी से भी कही ज्यादा जोर से कहना चाहिये कि किसी भी राज्य में खनन की लूट हो रही होगी तो तात्कालिन सीएम को गुनहगार मानना ही चाहिये।

और इस कडी में और कोई नहीं बल्कि मोदी सत्ता में ही खनन मंत्रालय की फाइलो को खोल देना चाहिये । और उसके बाद राज्य दर राज्य खनन लूट के आंकडो के आसरे हर राज्य के मुख्यमंत्री के खिलाफ सीबीआई जांच की मांग शुरु कर देनी चाहिये।

इसके लिये बहुत विपक्ष को बहुत मेहनत करने की भी जरुरत नहीं है। क्योकि मोदी सत्ता के दौर में भी राज्यो में खनन लूट के जरीये राजस्व को लगते चूने को परखे तो गुजरात के सीएम विजय रुपानी तो जेल पहुंच जायेगें और

चुनाव हार कर सत्ता से बाहर हुये मद्यप्रदेश के पूर्व सीएम शिवराज सिंह चौहान और राजस्थान की पूर्व सीएम वसुंधरा राजे के खिलाफ भी सीबीआई जांच के आदेश आज नहीं तो कल शुरु हो ही जायेगें।

क्योकि जिस दौर में यूपी में खनन की ळूट हो रही थी उसी दौर में मद्यप्रदेश , राजस्थान और गुजरात में सबसे ज्यादा खनन की लूट हुई। 2013-14 से लेकर 2016-17 के दौर में यूपी में जितनी खनन की लूट हुई या राजस्व का जितना चूना लगाया गया।

या फिर जितने मामले खनन लूट के एफआईआर के तौर पर दर्ज किये गये उस तुलना में उसी दौर में मद्यप्रदेश ने तो देश का ही रिकार्ड तोड दिया । क्योकि 2013-14 में गैरकानूनी खनन के 6725 मामले मद्यप्रदेश में दर्ज किये गये थे। जो 2016-17 में बढकर 13,880 मामलो तक पहुंच गये।

यानी चार बरस के दौर में खनन लूट के मामलो में सिर्फ मद्यप्रदेश में 52.8 फिसदी की बढतरी हो गई । इसी कडी में गुजरात के सीएम के तौर पर जब मोदी 2013-14 में थे तब 5447 अवैध या कहे गैर कानूनी खनन के मामले दर्ज किये गया।

और मोदी दिल्ली में पीएम बने तो रुपानी गुजरात के सीएम बने और गैर कानूनी खननके जरीये राज्सव की लूट बढ गई । 2016-17 में गुजरात में अवैध खनन की लूट के 8325 मामले दर्ज किये गये।

यानी यूपी में अकिलेश की नाक के नीचे अवैध खनन जारी था तो सीबीआई जांच करेगी तो फिर शिवराज सिंह चौहान हो या रुपानी उनके नाक भी तो सीएम वाली ही थी तो उनके खिलाफ भी सीबीआई जांच की शुरउात का इंतजार करना चाहिये ।

वैसे देश में खनन की लूट ही राजनीति को आक्सीजन देती है या कहे खनन लूट के जरीये राजनीति कैसे साधी जाती है ये बेल्लारी में खनन लूट से लेकर गोवा में खनन लूट पर जांच कमीशन की रिपोर्ट से भी सामने आ चुका है। लेकिन धीरे धीरे खनन लूट को सत्ता की ताकत के तौर पर मान्यता दे दी गई।

और खनन लूट को सियासी हक मान लिया गया। तभी तो राज्यवार अगर खनन लूट के मामलो को परखे और परखने के लिये मोदी सत्ता की ही फाइलो को टटोले तो कौन सा राज्य या कौन से राज्य का कौन सा सीएम सीबीआई जांच से बचेगा ये भी अपने आप में देश का नायाब सच है।

क्योकि राजस्थान में वसुंधरा राज में 2013-14 में खनन लूट के 2953 मामले दर्ज हुये तो 2016-17 में ये बढकर 3945 हो गये । पर खनन लूट का सच इतना भर नहीं है कि एफआईआर दर्ज हुई। बल्कि लूट करने वालो से फाइन वसूल कर सीएम अपनी छाती भी ठोकतें है कि

उन्होने इमानदारी से काम किया और जो अवैध लूट कर रहे थे उनसे वसली कर ली। पर इसके एवज में कौन कितना हडप ले गया इसपर सत्ता हमेशा चुप्पी साध लेता है। मसलन मद्यप्रदेश जहाँ सबसे ज्यादा खनन लूट के मामले दर्ज हुये वहाँ राज्य सरकार ने अपनी सफलता 1132.06 करोड रुपये वसूली की तहत दिखाये।

लेकिन इसकी एवज में खनन लूट से राज्य को एक लाख करोड से ज्यादा का नुकसान हो गया इसपर किसी ने कुछ कहा ही नहीं ।

इसी तरह बीजेपी शासित दूसरे राज्यो का हाल है। क्योकि महाराष्ट्र सरकार ने 281.78 करोड की वसूली अवैध खनन करने वालो से दिखला दी।

लेकिन इससे सौ गुना ज्यादा राजस्व के घाटे को बताने में कोताही बरती। गुजरात में भी 156.67 करोड रुपये की वसूली अवैध खनन करने वालो से हुई इसे बताया गया। पर राज्सव की लूट जो एक हजार करोड से ज्यादा की हो गई। इस पर खामोशी बरती गई।

यही हाल छत्तिसगढ का है जहा अवैध वसूली के नाम पर 33.38 करोड की वसूली दिखायी गई लेकिन इससे एक हजा गुना ज्यादा के राजस्व की लूट पर खामोशी बरती गई। पर ये खेल सिर्फ बीजेपी शासित राज्यो भर का नहीं है बल्कि

कर्नाटक जहाँ काग्रेस की सरकार रही वहाँ पर भी 111.63 करोड की वसूली अवैध खनन से हुई इसे दिखलाया गया । लेकिन 60 हजार करोड के राजस्व लूट को बताया ही नहीं गया। काग्रेस बीजेपी ही क्यो आध्रप्रदेश में भी क्षत्रप की नाक तले 143.23 करोड की वसली दिखाकर ये कहा गया कि

अवैध खनन वालो पर शिकंजा कसा गया है लेकिन इसकी एवज में जो 50 हजार करोड के राजस्व का नुकसान कहां गया या कौन हडप ले गया इसपर किसी ने कुछ कहा ही नहीं और इस खेल में इंडियन ब्यूरो आफ माइन्स की ही रिपोर्ट कहती है कि खनन लूट का खेल एक राज्य से दुसरे राज्य को मदद मिलती है।

तो दूसरी राज्य से तीसरे राज्य को । क्योकि खनन कर अवैध तरीके से राजय की सीमा पार करने और दूसरे राज्य की सीमा में प्रवेश के लिये बकायदा ट्राजिट पास दे दिया जाते है और

जिस तरीके से देश में खनन की लूट बीस राज्यो में जारी है अगर उस खनन की कितम अंतर्ष्ट्रीय बाजार की किमत से लगायी जाये तो औसतन हर बरस बीस लाख करोड से ज्यादा का चूना खनन माफिया देश को लगाते है।

तो वाकई अच्छी बात है कि खनन की लूट के लिये मुख्यमंत्री को भी कटघरे में खडा किया जा रहा है। तो मनाईये अखिलेश यादव के खिलाफ सीबीआई जांच हर राज्य के सीएम के खिलाफ सीबीआई जांच का रास्ता बना दें और सिर्फ नौकरशाह को ही कटघरे में खडा ना किया जाये और ये हो गया तो फिर सीएम की कतार कहां थमेगी कोई नहीं जानता और

जो बात प्रधानमंत्री ने बरस के पहले दिन इंटरव्यू में ये कहकर अपनी कमीज को साफ बतायी कि राफेल का दाग उनपर नहीं सरकार पर है तो जैसे सीएम की नाक वैसे ही पीएम की नाक। बचेगा कौन?

पर देश का संकट तो ये भी है कि सीबीआई भी दागदार है। यानी लूट खनन भर की नहीं बल्कि सत्ता के नाम पर लोकतंत्र की ही लूट है । जिसकी जांच जनता को करनी है ।

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