प्रसव के दौरान बच्चे को इतनी जोर से खींचा कि बच्चे के हो गए दो टुकड़े

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जैसलमेर/रामगढ़. जैसलमेर में रामगढ़ के सरकारी अस्पताल में चिकित्साकर्मियों ने प्रसव के दौरान बच्चे के पैर इतनी जोर से खींचे कि उसके दो टुकड़े हो गए।
बच्चे का धड़ तक का हिस्सा तो बाहर आ गया, लेकिन सिर अंदर ही रह गया। बच्चे के दो टुकड़े होने के बारे में चिकित्साकर्मियों ने परिजनों को कुछ नहीं बताया और महिला को जैसलमेर के लिए रेफर कर दिया।
जैसलमेर के जवाहर अस्पताल में चिकित्सक डॉ. रविंद्र सांखला को रामगढ़ के अस्पताल से बताया गया कि महिला की डिलीवरी हो गई है, लेकिन आंवल अंदर रह गई है। रात एक बजे डॉ. सांखला ने आंवल निकालने का प्रयास किया, लेकिन उन्हें कुछ समझ में नहीं आया तो
उन्होंने महिला की तबीयत को स्थिर किया और अगले दिन सुबह फिर से प्रयास किया, लेकिन फिर कुछ समझ नहीं आया। बाद में महिला को जोधपुर रेफर किया। जोधपुर के उम्मेद अस्पताल में चिकित्सकों ने महिला के प्रसव का प्रयास किया तो बच्चे का सिर ही निकला। इसके बाद परिजन बच्चे का सिर लेकर रामगढ़ पुलिस थाना पहुंच गए।
रामगढ़ पुलिस ने वहां के चिकित्साकर्मियों से पूछताछ की तो उन्होंने बच्चे का धड़ लाकर दिया। इस संबंध में महिला दीक्षा कंवर के पति त्रिलोकसिंह ने रामगढ़ थाने में मामला दर्ज करवाया है। उपनिरीक्षक जालमसिंह ने बताया कि मामला दर्ज कर लिया गया है। बच्चे के दोनों हिस्सों का अलग-अलग पोस्टमाॅर्टम करवाया जा रहा है।
प्रसूता की हालत नाजुक है और वह जोधपुर में ही भर्ती है। तीन दिन पहले दीक्षा कंवर को प्रसव पीड़ा के चलते उसके परिजन रामगढ़ अस्पताल लाए थे। यहां भर्ती करने के बाद चिकित्साकर्मी अमृतराम ने कहा कि इसे जैसलमेर ले जाओ। लेकिन परिजनों को यह नहीं बताया गया कि प्रसव की प्रक्रिया कराने के दौरान बच्चे का सिर अंदर रह गया है।
रामगढ़ अस्पताल के चिकित्सा प्रभारी डाॅ. निखिल शर्मा ने बताया कि प्रसूता को जब अस्पताल लाया गया था, उस दौरान वहां मौजूद चिकित्साकर्मी उसे प्रसव के लिए प्रसव कक्ष में ले गए। वहां देखा कि नवजात के पैर बाहर नजर आ रहे थे और वो मृत अवस्था में था।
यहां पूरी सुविधा नहीं होने के कारण प्रसूता काे जैसलमेर रेफर किया गया था। इस संबंध में भास्कर ने कंपाउंडर अमृतराम से बातचीत करने का प्रयास किया, लेकिन उससे संपर्क नहीं हो पाया।
जैसलमेर के जवाहर अस्पताल की स्त्री रोग विशेषज्ञ डॉ. रविंद्र सांखला ने बताया कि दो तीन दिन पहले रामगढ़ से यह केस रेफर होकर आया था। मुझे देर रात कॉल आया। जब मैं अस्पताल पहुंचा तो मुझे बताया कि प्रसूति हो गई है और नाल अंदर रह गई है।
मैंने प्रयास किया लेकिन बच्चेदानी का मुंह बंद हो रहा था, कुछ समझ में नहीं आया। अगले दिन सुबह भी कोशिश की। बड़े ऑपरेशन की जरूरत लगी तो जोधपुर रेफर कर दिया।
जवाहर अस्पताल की स्त्री रोग विशेषज्ञ और पीएमओ डॉ. उषा दुग्गड़ ने कहा कि मैं कई सालों से प्रसव करवा रही है, कभी भी ऐसा नहीं हुआ। बच्चे के दो टुकड़े कैसे हुए, यह जांच का विषय है।
रामगढ़ पुलिस जब यहां आई तब मुझे इस घटना की जानकारी मिली। बड़ी बात तो यह है कि रामगढ़ अस्पताल में इतना कुछ होने के बावजूद महिला के परिजनों को कुछ नहीं बताया गया और जैसलमेर रेफर कर दिया गया।

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