सुप्रीम कोर्ट में सवर्णों को 10% आरक्षण के संविधान संशोधन बिल को चुनौती
नई दिल्ली। सामान्य वर्ग के गरीबों के लिए शिक्षा और नौकरियों में 10 फीसद आरक्षण के संविधान संशोधन विधेयक को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई। यूथ फॉर इक्वैलिटी ने संविधान संशोधन को चुनौती देते हुए याचिका में कहा है कि यह संशोधन सुप्रीम कोर्ट के फैसले के खिलाफ है और आर्थिक आधार पर आरक्षण नहीं दिया जा सकता। सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल कर कानून रद करने की मांग की है। याचिका में कहा गया है कि आर्थिक आरक्षण का प्रावधान करने वाला संसद से पास बिल सुप्रीम कोर्ट के पूर्व फ़ैसले का उल्लंघन करता है।
यूथ फॉर इक्वैलिटी दायर याचिका में इन्दिरा साहनी फ़ैसले का हवाला देकर कहा गया है कि सिर्फ आर्थिक आधार पर आरक्षण नहीं दिया जा सकता। ये असंवैधानिक है। इसके पहले राज्यसभा में बुधवार को सामान्य वर्ग के आर्थिक रूप से कमजोर को सरकारी नौकरियों और शिक्षण संस्थाओं में 10 फीसद आरक्षण पर भी मुहर लग गई। लोकसभा के बाद राज्यसभा ने भी बुधवार को सामान्य वर्ग के गरीबों के आरक्षण संबंधी 124वें संविधान संशोधन विधेयक को पारित कर दिया।
राज्यसभा ने 7 के मुकाबले 165 मतों से सवर्ण गरीबों को आरक्षण देने संबंधी संविधान संशोधन विधेयक को पारित किया। यह संशोधन संविधान के अनुच्छेद 15 और 16 के तहत किया गया है और इसीलिए इसे राज्यों की विधानसभा से पारित कराने की जरूरत नहीं होगी। अब केवल राष्ट्रपति की मंजूरी के बाद 10 फीसद आरक्षण की यह व्यवस्था लागू हो जाएगी।
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