मध्यप्रदेश/विदिशा। नेशनल क्राइम ब्यूरो की ताजा रिपोर्ट के अनुसार देश में हर घंटे 7 बच्चों के साथ यौन शोषण होता है। दुनिया के 40 फीसदी बच्चों को रोजाना भरपेट खाना तक नसीब नहीं होता है। देश में 43 लाख बच्चे इस समय खदानों, खेतों और ईंट-भट्टों के काम में लगे हुए हैं।
आरटीई से बच्चों का स्कूलों में दाखिला तो बढ़ा है लेकिन शिक्षा की गुणवत्ता नहीं बढ़ रही है। चूंकि हमारे बच्चे वोट बैंक नहीं हैं, इसलिए वे देश के नेताओं की प्राथमिकता में भी शामिल नहीं हैं।
यह बात नोबेल शांति पुरस्कार कैलाश सत्यार्थी ने विदिशा एसएटीआई में आयोजित कार्यक्रम में छात्र-छात्राओं और फेकल्टी के साथ गणमान्य नागरिकों को संबोधित करते हुए कही।
सत्यार्थी ने कहा कि हमारी सरकार देश के बच्चों के कल्याण के लिए कुल जीडीपी का 4 प्रतिशत बजट भी खर्च नहीं कर रही है। पांचवीं कक्षा में पढ़ने वाला बच्चा कक्षा दूसरी का कोर्स भी पूरा नहीं कर पाता है। हमारे देश के धर्मगुरु और समाजसेवी भी बच्चों पर हो रहे अत्याचारों को लेकर चुप्पी साधे हुए हैं।
देश की हर समस्या का समाधान खोज सकता है इंजीनियर
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सत्यार्थी ने कहा कि मुझे गर्व है कि मैं एसएटीआई का एक इंजीनियर हूं। बीते 100 सालों में पहली बार किसी इंजीनियर को शांति का नोबेल पुरस्कार मिला है।
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एक कुशल इंजीनियर में ही तार्किक क्षमता होती है। वह किसी भी समस्या का समाधान अपने तर्कों और विश्लेषणों से कर सकता है। जब उसके पास कोई समस्या आती है तो वह फार्मूला प्रूफ करने के तरीके सोचता है।
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एक इंजीनियर अपनी पढ़ाई के दौरान ही समस्या का समाधान निकाल लेता है। एक इंजीनियर हर क्षेत्र में सफल व्यक्ति होता है चाहे वह नेता हो, व्यापारी हो या फिर अन्य किसी क्षेत्र में काम कर रहा हो। श्री सत्यार्थी ने कहाकि सिर्फ चुनाव से लोकतंत्र नहीं चलता है। लोकतांत्रित मूल्यों की रक्षा से लोकतंत्र चलता है।