पाम ऑयल-केमिकल से तैयार कर रहे थे देसी घी, एक लाख खाली डिब्बे भी मिले

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अमृतसर. सेहत विभाग की टीम ने अमृतसर अौर तरनतारन से बड़ी मात्रा में मिलावटी देसी घी बरामद किया है। साथ ही घी बनाने के लिए रखा 5,000 किलो पाम ऑयल,  इसी से तैयार 1,650 किलो मिलावटी मक्खन, केमिकल और पैकिंग के लिए रखे एक लाख डिब्बे भी जब्त किए गए हैं।
सूबे में मिलावटी देसी घी को लेकर यह अब तक की सबसे बड़ी कार्रवाई है। जिला सेहत अफसर डॉ. लखबीर सिंह भागोवालिया ने बताया कि उन्हें सूचना मिली थी कि छेहर्टा स्थित फैक्ट्री में मिलावटी देसी घी बन रहा है। टीम ने सोमवार रात फैक्टरी पर दबिश दी।
उस दौरान वहां पर घी तैयार करने से लेकर पैकिंग तक का काम चल रहा था। किसी को पता न चले इसलिए बाहरी गेट को बंद कर खिड़कियों पर तिरपाल लगाई गई थी। इसके बाद इसकी ‘डेयरी साइन’ ब्रांड से पैकिंग होनी थी। खास बात यह है कि पैकिंग पर एगमार्क भी लगाया गया था।
1,650 किलो मिलावटी मक्खन भी पकड़ा, दोनों फैक्ट्रियां सील :
टीम ने यहां 200 लीटर बीआर भी सील कर दिया। इसका इस्तेमाल घी का रंग बनाने में किया जाता है। यहीं से मिली जानकारी के आधार पर टीम ने मंगलवार को तरनतारन के पंजवड़ स्थित अंगद मिल्क फूड्स प्राइवेट लिमिटेड पर भी रेड की। यहां बनाकर रखा गया 13 हजार किलो देसी घी सील कर दिया गया। फिलहाल दोनों फैक्ट्रियों में सामान कब्जे में लेकर सील कर दिया गया है।
चीफ फूड कमिश्नर काहन सिंह पन्नू ने बताया कि दोनों फैक्ट्रियां एक ही फर्म की हैं। यह फर्म तीन भाइयों की है। इस फर्म की क्या कहीं और कोई ब्रांच है या नहीं? इसका पता लगाने के लिए टीमें काम कर रही हैं। जानकारों के अनुसार एक किलो नकली घी बनाने में 100 रुपए से भी कम खर्च आता है और आगे इसे 400 रुपए किलो के हिसाब से बेचा जाता है।
प्रतिबंधित सामान का होता है इस्तेमाल :
देसी घी और मक्खन तैयार करने के लिए विदेशों में प्रतिबंधित पाम ऑयल का इस्तेमाल होता है। इसका प्रयोग क्रीम, साबुन, मोमबत्ती आदि बनाने में होता है। घी जैसी महक के लिए इसमें प्रोक्लीन ग्लाइकोन नामक केमिकल और रंग के लिए बीआर भी मिलाया जाता है।

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