इन 22 सीटों पर बसपा, सपा और रालोद में डील हुई पक्की

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उत्तर प्रदेश में सपा-बसपा के बीच सीटों के बंटवारे के एलान के बाद अब महागठबंधन ने पश्चिमी यूपी की 22 लोक सभा सीटों का भी बंटवारा कर लिया है। समझौते के मुताबिक 11 सीटें बसपा के खाते में गई हैं जबकि आठ सीटें समाजवादी पार्टी और तीन राष्ट्रीय लोक दल (रालोद) के खाते में गई है। सपा-बसपा ने पहले रालोद के लिए सिर्फ दो सीटें ही छोड़ीं थी लेकिन जयंत चौधरी की अखिलेश यादव के साथ मुलाकात के बाद सपा ने अपने कोटे से एक और सीट रालोद के लिए छोड़ दी है। इस तरह रालोद के खाते में अब तीन सीटें आ गई हैं।
पश्चिमी यूपी के मुस्लिम और जाट बहुल सीटों के बंटवारे में बसपा के खाते में सहारनपुर, अमरोहा, गौतम बुद्ध नगर, गाजियाबाद, बुलंदशहर, बिजनौर, मेरठ, आगरा, फतेहपुर सीकरी, नगीना और अलीगढ़ लोकसभा सीट आई है, जबकि सपा के खाते में कैराना, मुरादाबाद, रामपुर, हाथरस, फिरोजाबाद, संभल, मैनपुरी और एटा सीट गई है। इनमें से कैराना फिलहाल रालोद के कब्जे में है और इसे सपा के लिए छोड़ दिया है। इनके अलावा फिरोजाबाद और मैनपुरी पर भी फिलहाल सपा का कब्जा है। रालोद के लिए बागपत, मुजफ्फरनगर और मथुरा सीट छोड़ी गई है।
बता दें कि 2014 के लोकसभा चुनावों में बसपा और रालोद को एक भी सीट हासिल नहीं हुई थी। पिछले साल हुए उप चुनाव में कैराना सीट पर सपा की तबस्सुम हसन ने रालोद के टिकट पर वहां से जीत दर्ज की थी और भाजपा उम्मीदवार मृगांका सिंह को पटखनी दी थी। 2014 के लोकसभा चुनावों में पूरे यूपी में सपा को कुल 22.20 फीसदी और बसपा को 19.60 फीसदी वोट मिले थे जबकि भाजपा को एकमुश्त 42.30 फीसदी वोट मिले थे।
सपा ने तब पांच सीटें जीती थीं। बाद में गोरखपुर और फुलपुर सीटें भी उप चुनाव में जीतीं। बदली राजनीतिक परिस्थितियों में राज्य में महागठबंधन से भाजपा को कड़ी टक्कर मिल सकती है। बसपा सुप्रीमो मायावती ने 24 साल पुराने गेस्ट हाउस कांड को भुलाकर सपा से हाथ मिलाया है। उससे पहले 1993 में भी सपा-बसपा ने भाजपा के खिलाफ मिलकर विधान सभा चुनाव लड़ा था और जीत दर्ज की थी।

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